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उत्तराखंड में डीजीपी की नियुक्ति को लेकर अभिनव कुमार ने सचिव गृह को लिखा पत्र, यूपी मॉडल की सिफारिश l

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देहरादून: उत्तराखंड के कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अभिनव कुमार ने सर्वोच्च न्यायालय के प्रकाश सिंह बनाम अन्य केस में दिए गए निर्णय के संदर्भ में डीजीपी की नियुक्ति प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) और गृह मंत्रालय की निर्णायक भूमिका को संवैधानिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से उचित नहीं माना जाता है।

अभिनव कुमार का कहना है कि उत्तराखंड में पहले से ही डीजीपी की नियुक्ति के लिए स्पष्ट नियम और प्रक्रिया मौजूद है, और इस पर विचार किए बिना किसी बाहरी एजेंसी को निर्णायक भूमिका सौंपना राज्य के संवैधानिक ढांचे के खिलाफ हो सकता है। उन्होंने सचिव गृह शैलेश बगौली को पत्र लिखकर यूपी की तर्ज पर स्थायी डीजीपी की नियुक्ति करने का आग्रह किया है। पत्र में यूपी सरकार द्वारा हाल ही में बनाई गई डीजीपी नियुक्ति प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के तहत लागू किया गया था।

उत्तराखंड की डीजीपी नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल
उत्तराखंड राज्य सरकार ने स्थायी डीजीपी की नियुक्ति के लिए संघ लोक सेवा आयोग को अभिनव कुमार के नाम के साथ कुछ अन्य नामों का पैनल भेजा था, लेकिन आयोग ने अब तक इस पर विचार नहीं किया। इस बीच, अभिनव कुमार ने सचिव गृह को पत्र लिखकर कहा कि राज्य सरकार, सर्वोच्च न्यायालय के प्रकाश सिंह मामले में दिए गए फैसले के अनुरूप डीजीपी की नियुक्ति की प्रक्रिया अपना रही है।

अभिनव ने पत्र में स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में संघ लोक सेवा आयोग और गृह मंत्रालय की निर्णायक भूमिका संविधान और राज्य सरकार के अधिकारों के खिलाफ है। उन्होंने यूपी की हालिया व्यवस्था का उदाहरण दिया, जिसमें पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति के लिए एक समिति का गठन किया गया है। इस समिति में सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में प्रमुख सचिव (गृह), यूपी लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या उनके प्रतिनिधि, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।

उत्तराखंड पुलिस अधिनियम-2007 का पालन करने की सिफारिश
अभिनव कुमार ने अपने पत्र में उत्तराखंड पुलिस अधिनियम-2007 के प्रावधानों का भी उल्लेख किया और राज्य सरकार से इसे ध्यान में रखते हुए डीजीपी की नियुक्ति प्रक्रिया पर पुनः विचार करने की अपेक्षा की। उनके अनुसार, इस अधिनियम के तहत पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति के लिए एक स्पष्ट प्रक्रिया मौजूद है, जिसमें राज्य सरकार के अधिकारों का सम्मान किया जाता है।

डीजीपी नियुक्ति के लिए राज्य में प्रावधान
उत्तराखंड पुलिस अधिनियम-2007 के तहत डीजीपी की नियुक्ति के लिए कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान इस प्रकार हैं:

  1. समग्र नियंत्रण और पर्यवेक्षण: राज्य सरकार पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति करेगी, जो पुलिस बल के समग्र नियंत्रण, निर्देशन और पर्यवेक्षण के लिए जिम्मेदार होगा।
  2. स्क्रीनिंग और पैनल: डीजीपी की नियुक्ति एक समिति द्वारा की गई स्क्रीनिंग के बाद की जाएगी। यह समिति पहले से पुलिस महानिदेशक पद पर कार्यरत अधिकारियों या पदोन्नति के योग्य अधिकारियों के पैनल से चयन करेगी।
  3. पैनल की संख्या: पैनल में शामिल अफसरों की संख्या राज्य में पुलिस महानिदेशक के पदों की स्वीकृत संख्या के तीन गुने से अधिक नहीं हो सकती है।
  4. न्यूनतम सेवा अवधि: नियुक्त किए गए पुलिस महानिदेशक की न्यूनतम सेवा अवधि दो वर्ष की होगी, बशर्ते वे सेवानिवृत्त न हों।

 

 

 

 

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