Uttarakhand

सिलक्यारा टनल के सफल रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सुरंग के पास पसरा सन्नाटा, भारी-भरकम मशीनों को वापस भेजना बना चुनौती।

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उत्तरकाशी – सिलक्यारा सुरंग में 12 नवंबर को हुई भूस्खलन की घटना के बाद फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया। बचाव अभियान में जुटी एजेंसियों ने श्रमिकों तक पहुंचने का रास्ता तैयार के लिए देश के विभिन्न स्थानों से मशीनें मंगवाईं। पहाड़ के सर्पीले रास्तों पर इन भारी-भरकम मशीनों के परिवहन में बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ी।

यमुनोत्री और गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग की संकरी व जर्जर सड़क और तीव्र मोड़ों ने कई बार बाधा खड़ी की। मशीनों को ला रहे भारी वाहनों के कारण कई बार जाम भी लगा। जैसे-तैसे मशीनों को सिलक्यारा तक पहुंचाया जा सका। अब बचाव अभियान संपन्न हो चुका है तो इन मशीनों को वापस ले जाने की चुनौती है। इससे संबंधित एजेंसियों के अधिकारियों भी चिंता में हैं। सिलक्यारा सुरंग में हुए हादसे के बाद देश के प्रमुख संस्थानों के साथ राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ बचाव अभियान में जुटे थे।

ग्रीन कॉरिडोर से पहुंची थी मशीनें

श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से अत्याधुनिक मशीनें मंगवाई गईं। इन मशीनों को कार्यस्थल पर पहुंचाने के लिए यमुनोत्री और गंगोत्री राजमार्ग पर ग्रीन कॉरिडोर भी बनाए गए। तब जाकर किसी तरह ये मशीनें सिलक्यारा पहुंचीं। हॉरिजॉन्टल (क्षैतिज) ड्रिलिंग के लिए पांच मशीनें व उनके उपकरण, जबकि वर्टिकल (लंबवत) ड्रिलिंग के लिए चार मशीनें व उनके उपकरण पहुंचाए गए। इनमें ऑगर मशीन भी शामिल है।

मशीनों को वापस भेजने में है जद्दोजहद

सबसे बड़ी मशीन वर्टिकल ड्रिलिंग की है, जिसकी क्षमता एक मीटर से अधिक व्यास और 100 मीटर गहराई तक बोरवेल करने की है। यह मशीन ऋषिकेश से सिलक्यारा तक 160 किलोमीटर चार दिन में पहुंची। वह भी तब, जब प्रशासन का अमला मार्ग को सुचारु रखने में जुटा था। इन मशीनों को सिलक्यारा पहुंचाने में ट्राला चालक और जिला प्रशासन को खासी जिद्दोजहद झेलनी पड़ी।

बदहाल हैं दोनों राजमार्ग

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यमुनोत्री और गंगोत्री राजमार्ग कई जगह बदहाल है। यहां चारधाम ऑल वेदर रोड का काम बेहद धीमी गति से चल रहा है।सिलक्यारा के निकट नगल गांव निवासी राममूर्ति सिलवाल कहते हैं कि वर्ष 2016 से यमुनोत्री राजमार्ग पर चौड़ीकरण कार्य चल रहा है। धरासू बैंड से सिलक्यारा तक करीब 25 किलोमीटर सड़क बेहद खराब है। धरासू बैंड में दो स्थानों पर, कल्याणी, स्यालना, महरगांव और सिलक्यारा गदेरे के पास हाईवे बेहद संकरा है और इन स्थानों पर भूस्खलन का मलबा भी गिरता रहता है।

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