Dehradun

एम्स ऋषिकेश को मिली बडी सफलता: डायबिटिक गैस्ट्रोपैरीसिस का इलाज पाया, ट्रायल में दवा रही सफल l

Published

on

ऋषिकेश: डायबिटिक गेस्ट्रोपैरीसिस अब लाइलाज नहीं रहा। एम्स के चिकित्सकों ने इस बीमारी का उपचार खोज लिया है। क्लीनिकल ट्रायल में दवा सफल रहने के बाद इसे पेटेंट भी मिल गया है। उम्मीद है कि जल्द यह दवा बाजार में भी उपलब्ध होगी। डायबिटिक गेस्ट्रोपैरीसिस की दवा ईजाद करने के लिए प्रो. रविकांत को बेस्ट रिसर्चर का अवार्ड मिला है।

एम्स के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ी है। यहां जनरल मेडिसिन विभाग के चिकित्सकों ने डायबिटिक गेस्ट्रोपैरीसिस जैसी लाइलाज समस्या का समाधान खोजा है। अभी तक चिकित्सा विज्ञान में इस समस्या का कोई स्थाई उपचार नहीं था।

एम्स के चिकित्सकों ने अब इसके लिए दवा तैयार की है। जनरल मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. रविकांत ने बताया कि करीब तीन साल के शोध के बाद दवा तैयार की गई है। दवा का क्लीनिकल ट्रायल सफल रहने पर पेटेंट भी हासिल हो गया है।

प्रो. रविकांत ने बताया कि करीब 900 मरीजों की स्क्रीनिंग की गई। जिन मरीजों में डायबिटिक गेस्ट्रोपैरीसिस की समस्या मिली, उनको आठ सप्ताह तक सुबह शाम यह कैप्सूल खिलाई गई। इन मरीजों में महत्वपूर्ण सुधार देखे गए। दवाई बंद करने के बाद छह माह तक इन मरीजों की निगरानी की गई। छह माह बाद इन मरीजों में गेस्ट्रोपैरीसिस की जांच की गई तो नाममात्र के लक्षण पाए गए।

क्या है डायबिटिक गैस्ट्रोपैरीसिस

लंबे समय से डायबिटिक की समस्या से जूझ रहे मरीजों की पेट की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और उन्हें पाचन संबंधी समस्या हो जाती है। पेट ढंग से साफ नहीं होता है। इससे पेट में जलन, सूजन, अपच, उल्टी, पेट में ऐंठन, थोड़ा सा भी भोजन करने पर पेट बाहर आ जाना आदि जैसी समस्याएं होती हैं। इससे मरीज का वजन भी घटने लगता है।

 

 

 

 

 

#DiabeticGastroparesisTreatment, #AIIMSRishikesh, #ClinicalTrialSuccess, #PatentedMedicine, #MedicalBreakthrough

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Trending

Exit mobile version