Uttarakhand

कार्यकाल समाप्त होने से पहले डीजीपी अशोक कुमार मीडिया से हुए मुखातिब, पुलिस सर्विस में 34 साल का अनुभव किया साझा।

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देहरादून – 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी अशोक कुमार उत्तराखंड डीजीपी के पद से 30 नवंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं,वहीं आज मीडिया से मुखातिब होते हुए कई महत्वपूर्ण बातें रखी चाहे बढ़ते अपराध को लेकर हो या फिर पुलिस के क्या कर्तव्य होने चाहिए ? तमाम ऐसी बाते थी जो आज अशोक कुमार ने कही।

बता दें कि जब सम्पूर्ण देश कोरोना महामारी से जूझ रहा था उस वक्त 2020 में आईपीएस अशोक कुमार ने  बतौर उत्तराखंड डीजीपी की कमान संभाली थी । डीजीपी की कमान संभालने के बाद अशोक कुमार ने प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई बेहतरीन प्रयास किए,इसके साथ ही कोरोना काल में विकट परिस्थितियों से जूझते हुए भी बेहतरीन काम किए, हरिद्वार में महाकुंभ को सकुशलता से निपटना और करोड़ों की तादाद में कांवड़  यात्रा को सकुशल संपन्न करवाने सहित चारधाम यात्रा में भी बेहतरीन कार्य करना अशोक कुमार के बतौर डीजीपी कार्यकाल में शुमार है इसके साथ ही ऑपरेशन स्माइल , ऑपरेशन प्रहार,ऑपरेशन मर्यादा ड्रग्स फ्री देवभूमि ,सहित कई अभियानों में डीजीपी अशोक कुमार के नेतृत्व में पुलिस ने कामयाबी हासिल की।

डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि पुलिस की नौकरी हर दिन नए अनुभव के साथ होती है अपनी साढे 34 साल की पुलिस सेवा के दौरान उन्होंने कई पायदान को छुआ । उन्होंने बताया कि हरिद्वार में बढ़ता हुआ क्राइम हो या फिर उत्तराखंड आंदोलन..,, उन्होंने उस दौर में भी कार्य किया ,इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के कई ऐसे जिले जहां पर की क्राइम का ग्राफ लगातार ऊपर था हर प्रकार की चुनौतियों को उन्होंने पार किया।

अपने सेवा काल को लेकर डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि उन्होंने जनता को पुलिस के नजदीक लाने का काम किया और खाकी पर विश्वास रखने के लिए लगातार प्रयास किया ताकि पुलिस की छवि लोगों के मन में बेहद सौम्या और मित्र पुलिस की तरह रहे हालांकि वह बदमाशों के लिए बहुत ही कड़े थे।

उन्होंने अपने आगे के जीवन को लेकर बताया कि वह लेखन, खेल में रुचि रखते हैं और आगे भी इस क्षेत्र में कार्य करेंगे इसके साथ ही उन्होंने बताया कि उन्होंने खाकी में इंसान पुस्तक के जरिए पुलिस के दर्द को उकेरा है । हालांकि उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में अभी भी साइबर क्राइम ड्रग्स के मामले लगातार बढ़ रहे हैं जिनको की रोका जाना चाहिए उन्होंने भी भरसक प्रयास किया है और काफी सफलता भी पाई है।

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