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ट्रैवलर्स का फेवरेट बना मसूरी का ये छुपा मंदिर, इतिहास, मान्यताएं और कैसे पहुंचें, यहां जानें सब कुछ

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Bhadraj Temple : यूं तो उत्तराखंड में कई मंदिर है जो अपनी एक झलक से ही आपका दिल जीत सकते हैं। लेकिन ज्यादातर मंदिर दूर पहाड़ों पर स्थित हैं। जहां हर कोई नहीं पहुंच पाता। लेकिन कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां आप आसानी से पहुंच सकते हैं और उनकी खूबसूरती आपका मन मोह लेगी। ऐसा ही एक मंदिर पहाड़ों की रानी मसूरी में भी है जहां खुद बादल दर्शन के लिए आते हैं। इसके साथ ही यहां पर आप खूबसूरत ट्रैक (Bhadraj Track) का भी आनंद ले सकते हैं।

ट्रैवलर्स का फेवरेट बना मसूरी का छुपा मंदिर Bhadraj Temple

उत्तराखंड में मसूरी में बादलों के बीच भगवान बलराम का एकमात्र मंदिर भद्रराज मंदिर (Bhadraj Temple) स्थित है। ये मंदिर मसूरी से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर दुधली भद्रराज पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर साढ़े सात हजार फीट की ऊँचाई पर बना हुआ है और अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता के लिए जाना जाता है।

Bhadraj Temple

भद्रराज मंदिर की है ये मान्यता

ऐसी मान्याताएं हैं कि पौराणिक काल में दुधली पहाड़ी पर जौनपुर और पछवादून क्षेत्र के ग्रामीण इस पहाड़ी पर वर्षा ऋतु यानी कि चौमासा में अपने पशु चराने के लिए जाते थे। लेकिन उस समय इस स्थान पर एक राक्षस का आतंक था । जो गांव वालों के पालतू पशुओं को अक्सर अपना निवाला बना लेता था। जिस से परेशान होकर थक-हारकर गांव वालों ने भगवान बलराम से पशुओं की रक्षा के लिए प्रार्थना की।

ऐसा कहा जाता है कि भक्तों की इस पुकार पर भगवान बलराम ने उस स्थान पर अवतार लिया और राक्षस का वध कर ग्रामीणों को भयमुक्त किया। जिसके बाद ग्रामीणों ने इस स्थान पर उनका मंदिर बनवाया। गांव वालों का मानना है कि तब से लेकर अब तक भगवान बलराम उनके पशुओं की रक्षा करते हैं।

भगवान बलराम को समर्पित उत्तराखंड का इकलौता मंदिर

आपको बता दें कि ये मंदिर भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई भगवान बलराम को समर्पित मंदिर है। खास बात ये है कि भद्राज मंदिर उत्तराखंड में स्थित भगवान बलराम का इकलौता मंदिर है। स्थानीय लोगों के अनुसार भद्राज मंदिर आने से परिवार में सुख-शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि आती है। इसके साथ ही लोग अपने पालतू पशुओं के लिए भी यहां आते हैं।

खासकर सर्दियों और होली के समय यहां बड़ी संख्या में देश के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं। इस दौरान यहां पर कई धार्मिक अनुष्ठान भी होते हैं। ऐसी मान्यता है क जो व्यक्ति कठिनाइयों में यहां आता है और भगवान बलराम की पूजा करता है, उसकी सभी परेशानियां दूर होती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

ऐसे पहुंच सकते हैं आप भद्राज मंदिर

भद्राज मंदिर आप सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग तीनों से पहुंचत सकते हैं। इसके साथ ही अगर आप ट्रैकिंग के शौकीन हैं तो आप मंदिर तक पहुंचने के लिए ट्रैक भी कर सकते हैं। दिल्ली और देहरादून से आप यहां कुछ इस तरीके से पहुंच सकते हैं। दिल्ली से आप सड़क मार्ग हवाई मार्ग या फिर रेल मार्ग से देहरादून पहुंच सकते हैं।

देहरादून से आगे आप कार से, बस से या फिर चॉपर से भी जा सकते हैं। अगर आप सड़क मार्ग से जा रहे हैं तो आप सरकारी बस, टैक्सी या फिर अपने वाहन से मसूरी पहुंच सकते हैं। मसूरी से भद्राज के लिए आपको शेयरिंग टैक्सी मिल जाएगी। लेकिन अगर आप हवाई मार्ग से जाना चाहते हैं तो देहरादून से मसूरी के लिए हेली सेवा भी उपलब्ध है। मसूरी से आगे भद्राज के लिए आप टैक्सी, शेयरिंग टैक्सी, रेंटल व्हीकल से जा सकते हैं।

भद्राज मंदिर तक के ट्रैक की हर जानकारी (Bhadraj Track)

भद्राज मंदिर तक पहुंचने के लिए मसूरी क्षेत्र से एक सुंदर और शांत ट्रैक मार्ग है, जिसे आसान से मध्यम श्रेणी का ट्रैक माना जाता है। ये ट्रैक खास तौर पर उन श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए बिल्कुल परफेक्ट है जो प्रकृति के बीच शांति और कम भीड़ के साथ ट्रैक करना चाहते हैं। भद्राज ट्रैक (Bhadraj Track) की शुरूआत आमतौर पर क्लाउड्स एंड, मसूरी से होती है। ये पूरा ट्रैक लगभग 4 से 5 किलोमीटर लंबा है। यहां का रास्ता घने देवदार के जंगलों से होकर गुजरता है। जो इस ट्रैक को और भी मजेदार बनाता है।

बात करें ट्रैक करते हुए मंदिर पहुंचने में लगने वाले समय की तो सामान्य गति से चलते हुए मंदिर तक पहुंचने में करीब ढाई से तीन घंटे का समय लगता है। ट्रैक करने के बाद आपको 7,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित मंदिर से मसूरी और देहरादून घाटी के सुंदर नज़ारे दिखाई देते हैं। जो आपके सफर को और भी यादगार बना सकते हैं।

यहां पर ट्रैक पर आने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच का माना जाता है। हालांकि सालभर अन्य महीनों में भी आप यहां आ सकते हैं। लेकिन बरसात में खासी सावधानी आपको बरतनी होगी। अगर आप सर्दियों में आ रहे हैं तो मौसम को देखकर ही ट्रैक करें क्योंकि सर्दियों के मौसम में, खासकर दिसंबर से फरवरी के बीच जब पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होता है, तब यहां हल्की से मध्यम बर्फबारी देखने को मिल सकती है।

FAQs: भद्राज मंदिर (Bhadraj Temple)

1. भद्राज मंदिर कहां स्थित है?

भद्राज मंदिर उत्तराखंड के मसूरी क्षेत्र में दुधली भद्रराज पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर मसूरी से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर और समुद्र तल से करीब 7,500 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है।

2. भद्राज मंदिर किस देवता को समर्पित है?

भद्राज मंदिर भगवान बलराम को समर्पित है, जो भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई थे। यह उत्तराखंड में भगवान बलराम को समर्पित इकलौता मंदिर माना जाता है।

3. भद्राज मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

यह मंदिर अपनी धार्मिक आस्था, ऐतिहासिक मान्यता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि भगवान बलराम आज भी उनके पशुओं और परिवार की रक्षा करते हैं।

5. भद्राज मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय कौन-सा है?

भद्राज मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच माना जाता है। सर्दियों में ठंड और कभी-कभार बर्फबारी हो सकती है, जबकि बरसात में रास्ते फिसलन भरे हो जाते हैं।

6. क्या भद्राज मंदिर क्षेत्र में बर्फबारी होती है?

हां, दिसंबर से फरवरी के बीच कभी-कभी यहां हल्की से मध्यम बर्फबारी देखने को मिल सकती है, लेकिन भारी और लंबे समय तक बर्फ जमना आम नहीं है।

7. भद्राज मंदिर तक ट्रैक कितना लंबा है?

भद्राज मंदिर तक का ट्रैक लगभग 4 से 5 किलोमीटर लंबा है। यह ट्रैक आसान से मध्यम श्रेणी का है और आमतौर पर क्लाउड्स एंड, मसूरी से शुरू होता है।

8. भद्राज मंदिर तक ट्रैक करने में कितना समय लगता है?

सामान्य गति से चलते हुए भद्राज मंदिर तक पहुंचने में करीब ढाई से तीन घंटे का समय लगता है।

9. भद्राज मंदिर तक कैसे पहुंच सकते हैं?

भद्राज मंदिर तक आप सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग तीनों से पहुंच सकते हैं।

  • सड़क मार्ग: दिल्ली या देहरादून से मसूरी तक बस, टैक्सी या निजी वाहन से पहुंचा जा सकता है। मसूरी से भद्राज के लिए टैक्सी और शेयरिंग टैक्सी उपलब्ध हैं।
  • रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन देहरादून है, जहां से मसूरी के लिए सड़क मार्ग उपलब्ध है।
  • हवाई मार्ग: देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट नजदीकी हवाई अड्डा है। यहां से मसूरी के लिए टैक्सी और हेली सेवा भी उपलब्ध है।
  • ट्रैकिंग: ट्रैकिंग के शौकीन लोग मसूरी से पैदल ट्रैक के जरिए भी मंदिर पहुंच सकते हैं।

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