अल्मोड़ा: जलवायु परिवर्तन का असर अब पहाड़ों में भी साफ नजर आने लगा है। ताजा उदाहरण उत्तराखंड के धौलछीना और बिनसर अभयारण्य के जंगलों में देखा जा सकता है, जहां इस बार बुरांश का फूल जनवरी के पहले पखवाड़े में ही खिल गया है। आमतौर पर, यह फूल फरवरी के दूसरे पखवाड़े से मार्च के बीच खिलता है, लेकिन इस साल मौसम में बदलाव के कारण यह समय से पहले खिल पड़ा है। इसके साथ ही, जंगलों में काफल भी पकने लगा है, जो सामान्यतः मार्च के अंत और अप्रैल में पकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह बदलाव जलवायु परिवर्तन का नतीजा है। डॉ. धनी आर्या, विभागाध्यक्ष, वनस्पति विज्ञान, अल्मोड़ा ने कहा कि समय से पहले पेड़-पौधों का फूलना और फलना सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि बारिश और बर्फबारी की कमी के कारण इन प्रजातियों को पहले से अनुकूल तापमान मिल रहा है, जिससे वे सामान्य से पहले ही फूलने और फलने लगे हैं। यह स्थिति पर्यावरण के लिए चिंतनीय है क्योंकि प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की वजह से पहाड़ों की जैव विविधता प्रभावित हो रही है।
अभी तक इस शीतकाल में केवल दो दिन बारिश हुई है, जिससे पूरे मौसम में शुष्क स्थिति बनी रही है। इस अत्यधिक शुष्क मौसम का असर पहाड़ों की जैव विविधता पर पड़ रहा है और स्थानीय इकोसिस्टम के लिए यह एक गंभीर संकेत है। ऐसे में, विशेषज्ञों ने इस बदलाव को गंभीरता से लेने की आवश्यकता जताई है, ताकि भविष्य में इससे निपटने के उपाय किए जा सकें।