देहरादून: उत्तराखंड में उपनल कर्मचारियों ने 11 नवंबर को सचिवालय कूच करने का ऐलान किया है। कर्मचारी संगठन का कहना है कि यदि उनकी लंबित मांगों पर कार्रवाई नहीं की जाती, तो 22 हजार उपनल कर्मचारी उसी दिन से हड़ताल पर चले जाएंगे। इसके साथ ही राज्य निगम कर्मचारी महासंघ और हाईड्रो इलेक्ट्रिक इंपलाइज यूनियन ने भी इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया है।
कर्मचारियों की मुख्य मांगें
उपनल कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रदेश संयोजक विनोद गोदियाल ने बताया कि 2018 में हाईकोर्ट ने उपनल कर्मचारियों को समान काम के लिए समान वेतन और उनके नियमितीकरण के लिए नियमावली बनाने का आदेश दिया था। लेकिन राज्य सरकार ने इस आदेश पर अमल करने की बजाय सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दाखिल कर दी थी।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका को खारिज कर दिया, लेकिन इसके बावजूद राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को लागू नहीं किया और फिर से एसएलपी दाखिल करने की तैयारी में है। इस स्थिति को लेकर प्रदेश भर के उपनल कर्मचारियों में गहरी नाराजगी है।
राजनीतिक समर्थन
भगवानपुर की विधायक ममता राकेश ने भी उपनल कर्मचारियों की मांगों का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को तत्काल उच्च न्यायालय के फैसले पर अमल करना चाहिए।
सचिवालय कूच की तैयारी
प्रदेश भर से हजारों उपनल कर्मचारी देहरादून के परेड ग्राउंड में एकत्र होंगे, जहां से वे सचिवालय की ओर कूच करेंगे। कर्मचारियों का कहना है कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया तो उनका आंदोलन और तेज किया जाएगा।
चिकित्सा शिक्षा निदेशालय ने बनाई वैकल्पिक व्यवस्था
उपनल कर्मचारियों की हड़ताल की चेतावनी के मद्देनज़र, चिकित्सा शिक्षा निदेशालय ने वैकल्पिक व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। निदेशालय ने राजकीय मेडिकल कॉलेज और नर्सिंग कॉलेजों को हड़ताल के दौरान आवश्यक सेवाओं को जारी रखने के लिए निर्देशित किया है। संयुक्त निदेशक चिकित्सा शिक्षा ने इन निर्देशों के तहत प्रदेश के विभिन्न जिलों में वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा है।
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