देहरादून: देहरादून के सहारनपुर रोड स्थित मातावाला बाग को लेकर इन दिनों भारी विवाद खड़ा हो गया है। वर्षों से आम जनता के उपयोग में आ रही यह ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण भूमि अब श्री गुरु राम राय दरबार साहिब द्वारा गुरु राम राय स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर साइंस नामक संस्थान को लीज पर दे दी गई है। स्थानीय लोगों में इस फैसले को लेकर भारी आक्रोश है और विरोध तेज़ होता जा रहा है।
मातावाला बाग केवल एक बाग नहीं, बल्कि देहरादून की सांस्कृतिक, धार्मिक और व्यायाम परंपरा का प्रतीक रहा है। इस बाग में स्थित 300 साल पुराना अखाड़ा और प्राचीन हनुमान मंदिर न केवल ऐतिहासिक धरोहर हैं, बल्कि हिंदू आस्था के केंद्र भी रहे हैं।
मातावाला बाग अखाड़ा मंदिर बचाओ संघर्ष समिति” के मुताबिक, श्री गुरु राम राय जी की चौथी पत्नी पंजाब कौर ने इस भूमि को समाज सेवा के लिए समर्पित किया था। वर्षों से यहां स्थानीय लोग मॉर्निंग वॉक, बच्चों का खेलना, और पहलवानों की कसरत होती रही है।
लेकिन अब इस बाग को बंद कर दिया गया है और वहां आम नागरिकों का प्रवेश रोक दिया गया है। बाग के चारों तरफ लोहे की चेन और गार्ड्स तैनात कर दिए गए हैं।
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि जिन बच्चों ने यहीं खेलना सीखा, जो बुजुर्ग हर सुबह-शाम यहीं टहलते थे, जो खिलाड़ी वर्षों से इसी अखाड़े में पसीना बहा रहे थे — आज उन्हें उसी ज़मीन में घुसने नहीं दिया जा रहा है।
यह जनता की ज़मीन है, इसे किसी निजी संस्थान को लीज पर कैसे दे दिया गया?”यह सवाल अब हर जुबान पर है। स्थानीय निवासी इसे सीधे-सीधे समाज के अधिकारों और धार्मिक विरासत पर कब्जे की कोशिश मान रहे हैं।
इस पूरे घटनाक्रम के खिलाफ स्थानीय लोग अब खुलकर मैदान में आ गए हैं।
संघर्ष समिति ने घोषणा की है कि 13 अप्रैल को शिवाजी धर्मशाला से दरबार साहिब तक पैदल आक्रोश मार्च निकाला जाएगा। उनका कहना है कि यह सिर्फ एक विरोध नहीं, बल्कि जनता के हक और आस्था की रक्षा की लड़ाई है।
अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस बयान या कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे लोगों का गुस्सा और भी बढ़ रहा है। क्या सदियों पुरानी सार्वजनिक ज़मीन इस तरह से चुपचाप निजी संस्थानों के हवाले कर दी जाएगी?
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