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एक गांव में 2019 से नही हुआ ग्रामप्रधान का चुनाव, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब। 

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नैनीताल – उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने वर्ष 2019 से अबतक प्रधान विहीन बागेश्वर की ग्रामसभा दर्शानी के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि अबतक इस गांव में प्रधान का चुनाव क्यों नहीं हुआ ? इस सम्बंध में दो सप्ताह के भीतर जबाव पेश किया जाय। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने अगली सुनवाई 28 नवम्बर को तय की है।

मामले के अनुसाए बागेश्वर जिले में दर्शानी गांव निवासी भोला दत्त पांडेय ने जनहित याचिका दाखिल कर कहा कि दर्शानी गांव में वर्ष 2019 से ग्राम प्रधान के चुनाव नहीं कराए गए हैं । वर्ष 2019 में हुए त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान का पद ओ.बी.सी.उम्मीदवार के लिये आरक्षित था । लेकिन ओ.बी.सी.के किसी भी व्यक्ति ने ग्राम प्रधान पद के लिये नामांकन पत्र दाखिल न करने से यह पद रिक्त रहा। वर्ष 2020 में ग्राम प्रधान का पद अनारक्षित किया गया। लेकिन चुनाव नहीं कराए गए। जिससे ग्राम दर्शानी विकास की मुख्य धारा से छूट गया। दर्शानी के ग्रामीणों ने इस सम्बंध में जिलाधिकारी बागेश्वर के माध्यम से सचिव पंचायती राज व अन्य को प्रत्यावेदन भेजकर चुनाव कराने की मांग की। लेकिन इस प्रत्यावेदन पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। जबकि नियमानुसार ग्रामसभा के रिक्त पदों में चुनाव 6 माह के भीतर होना चाहिए।

याचिका में मांग की गई है कि राज्य सरकार और चुनाव आयोग को ग्राम पंचायत के गठन के लिए तत्काल चुनाव संपन्न कराने का आदेश दिया जाए। न्यायाल से ये भी प्रार्थना की गई है कि इस मामले में लापरवाही और कोताही बरतने वाले दोषी अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्यवाही की जाय ।

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