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HALDWANI: फायर सीजन में चिंता बढ़ी: हाइड्रेंट की खराब स्थिति और कम संसाधनों से बढ़ सकती है परेशानी…

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हल्द्वानी: मार्च से शुरू होने वाले फायर सीजन के दौरान आग बुझाने के लिए उत्तराखंड के नैनीताल जिले में अग्निशमन विभाग के सामने संसाधनों की भारी कमी है, जिससे इस बार फायर सीजन के पीक को संभालना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हाइड्रेंट के खराब होने और दमकल वाहनों की कमी के कारण विभाग को आग बुझाने के लिए वैकल्पिक उपायों का सहारा लेना पड़ रहा है।

नैनीताल, हल्द्वानी, और रामनगर में फायर स्टेशन हैं, लेकिन उपलब्ध दमकल वाहनों की संख्या में वृद्धि नहीं हुई है, जबकि इन शहरों की आबादी और होटलों की संख्या बढ़ी है। इनमें से कुछ दमकल वाहन हेलिपैड पर तैनात रहते हैं, जबकि बाकी की स्थिति भी सही नहीं है। हल्द्वानी में दो वाटर मिस्ट एक्सटिंग्विशर और चार हाईप्रेशर दमकल वाहन हैं, लेकिन संसाधन इतने कम हैं कि बड़े हादसों में अल्मोड़ा और ऊधमसिंह नगर से मदद की आवश्यकता होती है, जिससे आग बुझाने में देरी हो जाती है।

नैनीताल जिले के हल्द्वानी, रामनगर, और नैनीताल में कुल 115 फायर हाइड्रेंट हैं, लेकिन उनमें से केवल 29 सक्रिय हैं, जबकि बाकी जमीन में दबे हुए हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि हाइड्रेंट की खराब स्थिति के कारण आग बुझाने में देरी हो सकती है। उदाहरण के तौर पर, दो महीने पहले हल्द्वानी के नया बाजार में आग लगने के बाद भी हाइड्रेंट से पानी देर से मिला, जिससे आग को नियंत्रित करने में समय लग गया।

हल्द्वानी, रामनगर और नैनीताल में फायर हाइड्रेंट की संख्या बढ़ाने के लिए 64 नए हाइड्रेंट की मांग की गई है। इनमें से हल्द्वानी और रामनगर में 15-15 और नैनीताल में 34 नए हाइड्रेंट की जरूरत है। जल निगम को यह व्यवस्था कराने के लिए कहा गया है। इन नए हाइड्रेंटों को आग लगने की संवेदनशील जगहों पर लगाने की योजना बनाई जा रही है।

दमकल वाहनों की क्षमता 3000 से 5000 लीटर तक होती है, जबकि छोटी गाड़ियों की क्षमता 500 लीटर है। लगातार आग बुझाने पर इन वाहनों में पानी की कमी हो जाती है और 20 से 30 मिनट में पानी खत्म हो जाता है। फायर सीजन के दौरान औसतन 250 से 300 कॉल हल्द्वानी से आती हैं, जबकि अल्मोड़ा से भी 300 कॉल आती हैं।

प्रभारी सीएफओ नरेंद्र सिंह कुंवर ने कहा कि हमारे पास जितने भी संसाधन हैं, उनके माध्यम से हम पूरी तैयारी कर रहे हैं। कहीं से भी आग लगने की सूचना मिलने पर हमारी टीम तत्काल मौके पर पहुंचती है और रिस्पांस टाइम बेहतर हो रहा है। गंभीर स्थिति में रूद्रपुर या रामनगर से भी वाहन मंगवाए जाते हैं।

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