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हरक सिंह का विवादित बयान भाजपा के लिए बना संजीवनी, कांग्रेस के लिए डैमेज कंट्रोल करना मुश्किल
देहरादून : उत्तराखंड में भले ही इन दिनों तापमान तेज़ी से गिर रहा हो, ऐसे मे आम जनता हो या राजनेता हर कोई गर्म तपिश का सहारा लें रहा है। लेकिन बीते दिनों अधिवक्ताओ की हड़ताल में समर्थन देने पहुंचे पूर्व कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत के एक विवादित बयान ने सियासी तपिश को एकाएक बढ़ा दिया है। दरअसल, उन्होंने सिख समुदाय पर जाने अनजाने मे एक अमर्यादित टिप्पणी कर दी। जिसके बाद जहाँ इस मुद्दे को भाजपा ने लपका तो वहीं सिख समुदाय ने भी हरक सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पूरे प्रदेशभर मे जोरदार प्रदर्शन किया।
हरक सिंह रावत के बयान से कांग्रेस बैक फुट पर
इसके बाद मामले को बढ़ता देख हरक सिंह रावत ने सिख समुदाय से माफ़ी मांगी और पोंटा साहिब गुरूद्वारे जाकर लंगर मे हाथ बंटाकर प्रायश्चित किया। मीडिया से बातचीत मे भले ही रावत ने कई बार कहा हो कि उन्होंने सिर्फ मज़ाकिया अंदाज मे वो बात कही थी लेकिन कहीं ना कहीं सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को बैठे बिठाये मुद्दा मिल गया।
कांग्रेस को डैमेज कंट्रोल करना हुआ मुश्किल
हरक सिंह रावत के बयान से पहले जो कांग्रेस पार्टी लगातार भाजपा सरकार को अलग -अलग मुद्दों पर घेरने का काम कर रही थी। उनके विवादित बयान के बाद वही पार्टी बैक फुट पर नजर आई। दरअसल,धराली आपदा मे 147 लोगों के मलबे मे दबे होने के भाजपा नेता कर्नल अजय कोठियाल के बयान के बाद अचानक से सियासी हलचल तेज हो गई थी। भाजपा सरकार के लिए कर्नल कोठियाल का धराली आपदा पर दिया गया बयान गले की हड्डी बन गया था। ऐसे मे भाजपा ने जहाँ उनसे स्क्रिप्टड बयान दिलवाया तो कॉंग्रेस के तमाम नेताओं ने सरकार को फिर से घेरना शुरू किया।

कांग्रेस के गले की हड्डी बना हरक का बयान
वहीं हरक सिंह रावत के बयान के बाद अब कांग्रेस बैकफुट पर नजर आ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी गुरुद्वारा पहुंचकर लंगर सेवा के साथ ही जूता सेवा की। उन्होंने कहा की हमसे यदि जाने अनजाने कोई गलती हुई हो तो उसका प्रायश्चित करने में कोई हर्ज नहीं है। हरक सिंह रावत से अनजाने में गलती हुईं जिसकी उन्होंने उसी वक्त माफ़ी भी मांगी। बाद में मामले को बढ़ता देख उन्होंने पोंटा साहिब गुरुद्वारा जाकर मत्था टेकने के साथ सेवा की।
भले ही हरक सिंह रावत के बयान के बाद कॉंग्रेस नेतागण तमाम तरह के तर्क दे रहे है लेकिन इतना जरूर है की रावत के बयान के बाद डैमेज कंट्रोल करने मे कांग्रेस पार्टी को भारी मशक्कत करनी पड़ रही है।
कांग्रेस के तमाम नेताओं को शीर्ष नेतृत्व ने दिल्ली से भी तलब किया। भले ही कांग्रेस के नेता इसे 14 दिसंबर को दिल्ली मे होने जा रहे कार्यक्रम की बात कह रहे हो लेकिन इतना तो तय है कि हरक कथा की बात दिल्ली दरबार मे भी सुनी जाएगी।