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कार्बेट नेशनल पार्क में वाहन पंजीकरण मामले की हाईकोर्ट में सुनवाई, 10 दिनों के अंदर मांगी रिपोर्ट
नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जिम कार्बेट नेशनल पार्क में जिप्सी संचालन और नए पंजीकरण में स्थानीय वाहन स्वामियों को लॉटरी प्रक्रिया से बाहर रखने के मामले में सुनवाई की। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कॉर्बेट पार्क के डायरेक्टर से पूछा कि स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए जिप्सी पंजीकरण प्रकिया में नए जिप्सी संचालकों के लिए कौन से मानक तय किए गए हैं?
कार्बेट नेशनल पार्क में वाहन पंजीकरण मामले पर हाईकोर्ट की सुनवाई
हाईकोर्ट ने निदेशक से 10 दिनों के अंदर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। मामले की सुनवाई के दौरान पूर्व के आदेश पर जिम कार्बेट नेशनल पार्क निदेशक कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश नरेंद्र व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने की।
मामले के अनुसार स्थानीय निवासी चक्षु करगेती, सावित्री अग्रवाल व अन्य ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा है कि कॉर्बेट पार्क में जिप्सी के लिए लॉटरी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए जो गाइडलाइन बनाई गई है, उसमें स्थानीय लोगों को पूरी प्रक्रिया से बाहर रखा जा रहा है। स्थानीय लोगों की ओर से कहा गया कि सभी परमिट होल्डर जिनके पास वैध परमिट हैं और शर्तों को पूरा कर रहे हैं। उन सब को लॉटरी प्रक्रिया से बाहर रखा जा रहा है। स्थानियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि लॉटरी प्रक्रिया में पारदर्शिता का आभाव है।
स्थानियों ने लॉटरी पंजीकरण में पारदर्शिता के अभाव का लगाया आरोप
स्थानियों ने दायर याचिका में कहा कि जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में विशेष कैटिगरी की जिप्सी स्वामी को पंजीकृत किया जा रहा है। और 2 वर्ष पुराने पंजीकृत जिप्सियों को प्रतिभाग करने से रोका जा रहा है। जबकि इन सभी वाहन स्वामियों को पिछले वर्ष आरटीओ से परमिट प्राप्त हुआ है। साथ ही कोर्ट के पूर्व आदेशों का उल्लंघन किया जा रहा है। लॉटरी प्रक्रिया में प्रतिभाग न करने की वजह से जिप्सी संचालक बेरोजगार हो गए हैं। नए बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है, जबकि वे भी स्थानीय लोग हैं, उनको भी रोजगार दिया जाए. इसके जवाब में सरकार की तरफ से कहा गया कि जिन को परमिट दिया गया मानकों के अनुरूप दिया गया है। जो मानक पूर्ण नहीं करते हैं उन्हें लिस्ट से बाहर किया गया है।