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हरिद्वार जमीन घोटाले की जांच अब आईपीएस रचिता जुयाल के हाथ, इस्तीफे के बीच मिली बड़ी जिम्मेदारी

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देहरादून। उत्तराखंड की चर्चित आईपीएस अधिकारी रचिता जुयाल को सरकार ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए हरिद्वार भूमि घोटाले की विजिलेंस जांच का नेतृत्व सौंपा है। इस्तीफे की पेशकश के बाद सुर्खियों में आईं रचिता अब पांच सदस्यीय विजिलेंस टीम की अगुवाई करेंगी। टीम का गठन पुलिस मुख्यालय ने किया है जिसकी पुष्टि राज्य के गृह सचिव शैलेश बगौली द्वारा जारी आदेश से हुई।

2015 बैच की आईपीएस अधिकारी रचिता जुयाल ने कुछ दिन पहले पारिवारिक कारणों से इस्तीफा दिया था, जिसे अभी तक सरकार ने मंजूरी नहीं दी। इसी बीच सरकार ने उन्हें राज्य के सबसे बड़े चर्चित भूमि घोटालों में से एक हरिद्वार भूमि घोटाला की जांच सौंप दी है।

क्या है हरिद्वार भूमि घोटाला ?

वर्ष 2024 में हरिद्वार नगर निगम द्वारा सराय गांव में करीब 33 बीघा कृषि भूमि की खरीद की गई, जिसकी बाजार कीमत 13 करोड़ रुपये थी। लेकिन दस्तावेजों में इस जमीन को 143 के तहत (कृषि से गैर कृषि) में बदला गया और इसे 54 करोड़ रुपये में खरीदा गया। इस खरीद में भारी अनियमितताएं सामने आईं।

इस घोटाले में अब तक कुल 12 अधिकारियों/कर्मचारियों पर कार्रवाई की जा चुकी है।

3 जून को जिन अफसरों को निलंबित किया गया:

कर्मेन्द्र सिंह – जिलाधिकारी, तत्कालीन प्रशासक नगर निगम हरिद्वार

वरुण चौधरी – तत्कालीन नगर आयुक्त

अजयवीर सिंह – तत्कालीन उपजिलाधिकारी

निकिता बिष्ट – वरिष्ठ वित्त अधिकारी

विक्की – वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक

राजेश कुमार – रजिस्ट्रार कानूनगो

कमलदास – मुख्य प्रशासनिक अधिकारी

पूर्व में जिन पर कार्रवाई हुई:

रविंद्र कुमार दयाल – प्रभारी सहायक नगर आयुक्त (सेवा समाप्त)

आनंद सिंह मिश्रवाण – प्रभारी अधिशासी अभियंता (निलंबित)

लक्ष्मीकांत भट्ट – कर एवं राजस्व अधीक्षक (निलंबित)

दिनेश चंद्र कांडपाल – अवर अभियंता (निलंबित)

वेदपाल – संपत्ति लिपिक (सेवा विस्तार समाप्त)

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर यह जांच विजिलेंस को सौंपी गई है। सचिव रणवीर सिंह चौहान की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में बड़े स्तर पर लापरवाही उजागर हुई, जिसके आधार पर यह कार्रवाई और अब विस्तृत जांच शुरू हुई है।

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