Dehradun

केदारनाथ यात्रा बनी महिला स्वयं सहायता समूहों की आर्थिकी का आधार, सैकड़ों महिलाओं को मिला रोजगार…

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देहरादून: केदारनाथ यात्रा से इस साल भी रुद्रप्रयाग जनपद के महिला स्वयं सहायता समूहों को काम मिल रहा है। जनपद के करीब डेढ़ सौ समूह, प्रसाद, जौ, तिल, कॉइन सोवेनियर, स्थानीय उत्पादों की बिक्री करने से लेकर होमस्टे और यात्रा मार्ग पर जलपान गृह तक संचालित कर रहे हैं। जिससे सैकड़ों महिलाओं की आजीविका को सहारा मिल रहा है। केदारनाथ प्रसाद की ऑनलाइन भी खरीद की जा सकती है। इसके साथ ही उद्योग विभाग के भटवाड़ीसैंण स्थित ग्रोथ सेंटर में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति सोवेनियर के रूप में तैयार की जाती है। जिसे श्रद्धालु केदारनाथ मंदिर से स्मृतिचिह्न के रूप में अपने साथ ले जाते हैं। जिला उद्योग केंद्र रुद्रप्रयाग द्वारा संचालित इस ग्रोथ सेंटर का भी स्थानीय महिलाएं ही संचालन करती हैं। इस वर्ष अब तक पाँच हजार प्रतिकृतियाँ तैयार की जा चुकी हैं तथा यह क्रम जारी है।

जखोली – जखोली ब्लॉक में करीब 50 महिला स्वयं सहायता समूह यात्रा से जुड़ा कारोबार कर रहे हैं। इसमें 30 समूह प्रसाद तैयार कर रहे हैं, जबकि 10 समूह धूपबत्ती बनाने और 10 अन्य समूह पहाड़ी उत्पादों को बेचने का काम कर रहे हैं। इसके लिए प्रशासन ने इन्हें दुकानें भी आवंटित की हुई हैं, जहाँ बद्री गाय का घी 1200 रुपए प्रति किलो की दर पर उपलब्ध है।

अगस्त्यमुनि – अगस्त्यमुनि ब्लॉक में करीब 38 महिला समूह यात्रा कारोबार से जुड़े हैं। समूह सोवेनियर बनाने से लेकर, प्रसाद पैकेजिंग और स्थानीय उत्पाद यात्रा मार्ग पर बेच रहे हैं। कुछ समूह यात्रा मार्ग पर जलपान गृह भी संचालित कर रहे हैं। इससे करीब 90 महिलाओं को रोजगार मिला हुआ है।

उखीमठ – उखीमठ ब्लॉक में करीब 60 महिला समूह यात्रा से संबंधित व्यवसाय कर रहे हैं। 48 महिलाएं सीधे तौर पर प्रसाद तैयार कर रही हैं, जबकि शेष सोवेनियर निर्माण, जलपान गृह, यात्रियों को ठहराने के लिए टेंट संचालन, होमस्टे और स्थानीय उत्पादों की बिक्री कर रहे हैं।

पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री: चारधाम यात्रा महिला समूहों की आर्थिकी का आधार बन रही है। सरकार इसके लिए महिला समूहों को यात्रा मार्ग पर स्टॉल उपलब्ध कराने से लेकर हर तरह की सहायता दे रही है। महिलाएं स्थानीय उत्पादों की बिक्री कर वोकल फॉर लोकल के नारे को भी चरितार्थ कर रही हैं। सभी तीर्थ यात्रियों से अपील है कि वे स्थानीय समूहों के गुणवत्तापरक उत्पादों को खरीदने का प्रयास करें।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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