नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस फैसले से ठीक पहले सज्जन कुमार ने कोर्ट से सजा में रियायत की अपील की। उन्होंने दलील दी कि इस मामले में उन्हें फांसी की सजा देने का कोई आधार नहीं बनता है और उनके खिलाफ किसी भी प्रकार के सख्त निर्णय से पहले उनकी उम्र और स्वास्थ्य को ध्यान में रखा जाए।
सज्जन कुमार ने कोर्ट में कहा, “मैं 80 साल का हो चुका हूं और कई बीमारियों से जूझ रहा हूं। 2018 से मैं जेल में बंद हूं और तब से मुझे कोई फरलो (अस्थायी रिहाई) या परोल नहीं मिली है।” उन्होंने यह भी कहा कि 1984 के दंगों के बाद से वह किसी भी आपराधिक मामले में शामिल नहीं रहे और न ही जेल में या ट्रायल के दौरान उनके खिलाफ कोई शिकायत आई है। उन्होंने कोर्ट से अपील की कि उनके सुधार की संभावना को ध्यान में रखते हुए उन्हें न्यूनतम सजा दी जाए।
सज्जन कुमार ने आगे कहा, “मैं तीन बार सांसद रह चुका हूं और सामाजिक कल्याण के लिए कई प्रोजेक्ट्स का हिस्सा रहा हूं। मैं अभी भी खुद को निर्दोष मानता हूं।” उन्होंने यह भी बताया कि उनके व्यवहार में कोई खोट नहीं है और जेल में रहते हुए उन्होंने अच्छे आचरण का पालन किया।
हालांकि, अदालत ने सज्जन कुमार की अपील पर विचार करते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई। यह फैसला 1984 के दंगों के दौरान सिख समुदाय के खिलाफ हिंसा में उनकी भूमिका को लेकर लिया गया, जिसमें सैकड़ों सिखों की जानें गई थीं।