Dehradun
दून मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में अब मरीजों को मिलेगा तत्काल उपचार, थ्री चेक फार्मूला लागू…..
देहरादून : दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय की इमरजेंसी में अब मरीजों को तत्काल और बेहतर उपचार मिल सकेगा। इसके लिए चिकित्सालय ने एक नया थ्री चेक फार्मूला अपनाने का निर्णय लिया है, जिसके तहत गंभीर रोगियों का 30 से 60 सेकंड में आकलन किया जा सकेगा। यह फार्मूला श्वास (ब्रीदिंग), संचेतना (कान्शियसनेस) और संघात (शाक) के आधार पर मरीज की स्थिति का त्वरित आकलन करने में मदद करेगा, जिससे उसे तुरंत प्राथमिक उपचार दिया जा सकेगा।
गुरुवार को इस नए फार्मूला को लागू करने के लिए चिकित्सालय के डॉक्टरों और स्टाफ को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण सत्र में इमरजेंसी प्रभारी डॉ. एनएस बिष्ट ने बताया कि निराश्रित, लावारिस, अज्ञात और अत्यंत गरीब मरीजों का पर्चा ईएमओ के निर्देश पर पीआरओ निश्शुल्क बनवाएंगे, और उनकी जांच भी निश्शुल्क की जाएगी। इसके साथ ही कर्मचारियों के आचरण संबंधी नियमावली पर भी स्टाफ से चर्चा की गई।
क्या है थ्री चेक फार्मूला?
- श्वास (ब्रीदिंग): यदि मरीज को सांस लेने में परेशानी हो रही है, तो पहले उसका एयरवे (मुंह/श्वास नली) जांचा जाएगा और सही स्थिति में लाया जाएगा। इसके बाद ऑक्सीजन सैचुरेशन और नाड़ी पर ध्यान दिया जाएगा। श्वास ठीक होने पर मरीज की संचेतना की जांच की जाएगी।
- संचेतना (कान्शियसनेस): यदि मरीज बेहोश है, तो उसे बांयी करवट लिटाया जाएगा और आवश्यक उपचार जैसे आक्सीजन लगाना, शुगर टेस्ट, दौरे रोकने के लिए इंजेक्शन आदि दिए जाएंगे।
- संघात (शाक): रक्तचाप की जांच की जाएगी, और यदि रक्तचाप कम पाया जाता है, तो मरीज को फ्लूइड चढ़ाए जाएंगे। इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि रक्तस्राव हो रहा है या नहीं। यदि रक्तस्राव होता है, तो तुरंत लैब से रक्तग्रुप का मिलान कराया जाएगा। इसके अलावा, ईसीजी और अल्ट्रासाउंड भी किया जाएगा, ताकि शाक का कारण पता चल सके।
प्रशिक्षण और निर्देश:
इमरजेंसी में प्रत्येक मेडिकल प्रैक्टिशनर (जेआर/ईएमओ) को निर्धारित वेशभूषा और व्यक्तिगत उपकरणों के साथ मरीज का उपचार करना होगा। इंटर्न केवल मदद करेंगे और किसी भी देरी की स्थिति में एक मिनट के भीतर मरीज को एंबुलेंस से बाहर लाकर देखना सुनिश्चित करेंगे।
इमरजेंसी में आने वाले मरीज का प्रारंभिक उपचार टीम लीडर (ईएमओ/जेआर) द्वारा गाइड किया जाएगा। स्ट्रेचर/व्हीलचेयर से आने वाले मरीजों का श्वसन क्रिया पर ध्यान दिया जाएगा, और यदि श्वास धीमी या बंद होती है, तो तुरंत सीपीआर शुरू किया जाएगा।
इस पूरे प्रक्रियावली के दौरान, विशेषज्ञ चिकित्सकों की मदद ली जाएगी और स्थिति स्थिर होने के बाद मरीज को इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट किया जाएगा, जहां फिर से मरीज के वाइटल साइन की निगरानी की जाएगी।