उत्तराखंड का प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर, जो चारधाम यात्रा का एक अहम हिस्सा है, हर साल हजारों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है और यहां भगवान शिव के विश्राम रूप के दर्शन होते हैं। श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आकर भगवान शिव की पूजा करते हैं।
लेकिन, जब सर्दियों का मौसम आता है और केदारनाथ मंदिर छह महीने के लिए बंद हो जाता है, तब श्रद्धालुओं के लिए एक और खास स्थान है जहाँ वे बाबा केदार के दर्शन कर सकते हैं। यह स्थान है ऊखीमठ, जहां भगवान केदार का पंचमुखी विग्रह स्थापित किया जाता है। इसे ‘दूसरा केदारनाथ’ भी कहा जाता है।
पंचमुखी विग्रह और शीतकालीन गद्दीस्थल
केदारनाथ मंदिर सर्दियों में बंद होने के बाद, बाबा केदार का पंचमुखी विग्रह ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में स्थापित किया जाता है। इसे पंचगद्दी स्थल के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थान भगवान केदार का शीतकालीन गद्दीस्थल होने के कारण विशेष महत्व रखता है। यहां पर भगवान केदार की पूजा-अर्चना होती है और श्रद्धालु शीतकाल में भी बाबा के दर्शन करने आते हैं।
केदारनाथ यात्रा का महत्व और श्रद्धालुओं की आस्था
केदारनाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु हर साल कठिन यात्रा करते हैं। यह यात्रा शीतकाल के दौरान विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण होती है, लेकिन इसके बावजूद लोग अपनी श्रद्धा और आस्था के साथ इस यात्रा पर जाते हैं। सर्दियों के दौरान जब केदारनाथ मंदिर के द्वार बंद होते हैं, ऊखीमठ स्थित पंचगद्दी स्थल श्रद्धालुओं के लिए भगवान केदार के दर्शन का प्रमुख केंद्र बन जाता है।
अतः ‘दूसरा केदारनाथ’ यानी ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में स्थित पंचमुखी विग्रह के दर्शन करके भक्तों को सर्दियों में भी बाबा केदार का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह स्थान भक्तों के लिए एक विशेष तीर्थ स्थल के रूप में माना जाता है, जहां भगवान केedar की शीतकालीन पूजा होती है।