Dehradun

उत्तराखंड की शेफाली रावत बनीं भारतीय ब्लाइंड फुटबॉल टीम की कप्तान

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देहरादून: उत्तराखंड की एक और बेटी ने देश और प्रदेश का नाम रोशन किया है। पौड़ी गढ़वाल की रहने वाली शेफाली रावत ने भारतीय ब्लाइंड महिला फुटबॉल टीम की कप्तान बनकर इतिहास रच दिया है। शेफाली की अगुवाई में टीम इस समय केरल के कोच्चि में चल रही वूमेन ब्लाइंड फुटबॉल वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही है। यह पहली बार है जब उत्तराखंड की कोई महिला खिलाड़ी इस चैंपियनशिप में टीम इंडिया की कप्तानी कर रही है।

शेफाली का सफर: संघर्ष से सफलता तक

मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल की निवासी शेफाली, देहरादून के राजपुर रोड स्थित राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान (NIEPVD) की छात्रा हैं। फुटबॉल के प्रति उनके जुनून ने उन्हें पहले जोनल और फिर राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं तक पहुंचाया। उत्तराखंड महिला ब्लाइंड फुटबॉल टीम की भी वह कप्तानी कर चुकी हैं। अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शेफाली ने जो मुकाम हासिल किया है, वह कई दृष्टिबाधित खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बन गया है।

दुनिया की 8 बड़ी टीमें ले रही हैं हिस्सा

इस प्रतिष्ठित वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत के अलावा अर्जेंटीना, ब्राजील, इंग्लैंड, पोलैंड, जापान, कनाडा और तुर्की की टीमें खेल रही हैं। यह इस चैंपियनशिप का दूसरा संस्करण है। पहला टूर्नामेंट साल 2022 में इंग्लैंड के बर्मिंघम में हुआ था, जिसमें भी शेफाली ने टीम इंडिया की ओर से शानदार प्रदर्शन किया था।

सेमीफाइनल की राह और भारत की उम्मीदें

11 अक्टूबर तक चलने वाली इस प्रतियोगिता में भारत को अपने ग्रुप में ब्राजील, इंग्लैंड और पोलैंड से मुकाबले खेलने हैं। शेफाली और उनकी टीम का लक्ष्य है कि वे ग्रुप में कम से कम दूसरा स्थान हासिल करें ताकि सेमीफाइनल में जगह बना सकें और फिर चैंपियनशिप जीतने के सपने को साकार किया जा सके।

कोच बोले – शेफाली से बढ़ेगा बाकी खिलाड़ियों का हौसला

टीम के कोच नरेश सिंह नयाल ने कहा कि शेफाली की यह उपलब्धि सिर्फ उनके लिए नहीं…बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। उन्होंने उम्मीद जताई कि शेफाली जैसे खिलाड़ी आने वाले समय में दृष्टिबाधित खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को नया उड़ान देंगे।

देश को है इस बेटी पर गर्व

शेफाली रावत ने यह साबित कर दिया है कि सपनों को देखने और उन्हें पूरा करने के लिए आंखें नहीं, हौसला चाहिए होता है। उनकी यह उपलब्धि ना सिर्फ उत्तराखंड…बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण है।

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