Rapid Increase in Satellites and Space Junk: अंतरिक्ष में बढ़ते उपग्रहों और उसके कारण उत्पन्न हो रहे स्पेस कचरे को लेकर वैज्ञानिकों की चिंता गहरी हो गई है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कचरे की वजह से पृथ्वी की निचली कक्षा (लो अर्थ ऑर्बिट) में जाम लग सकता है, जिससे इन कक्षाओं का उपयोग करना मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा, यह भी संभावना जताई जा रही है कि धरती पर सूरज की रोशनी भी फिल्टर होकर पहुंचेगी, और हो सकता है कि रोशनी आए ही नहीं। इसके साथ ही, दूसरे रॉकेट्स को ऑर्बिट से बाहर निकलने में भी कठिनाई हो सकती है।
वर्तमान में, पृथ्वी की निचली कक्षा में 14,000 से अधिक सैटेलाइट्स हैं, जिनमें से 3,000 से अधिक बेकार हैं। इसके अलावा, लगभग 12 करोड़ टुकड़े अंतरिक्ष में कचरा के रूप में फैल चुके हैं। इस समस्या को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने स्पेस ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए एक पैनल गठित किया है, जो इस स्थिति से चिंतित है। उनका सुझाव है कि सैटेलाइट लॉन्चिंग को सीमित किया जाए और स्पेस कचरे को साफ करने के उपाय किए जाएं।
संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के निदेशक, आरती होला-मानी ने बताया कि अगर कचरा और सैटेलाइट्स का सफाया नहीं किया गया, तो भविष्य में इनकी आपस में टक्कर हो सकती है, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों और अंतरिक्ष यानों के लिए खतरा पैदा हो सकता है।
विज्ञापनकर्ताओं का कहना है कि देशों को मिलकर एक ही उद्देश्य के लिए एक सैटेलाइट लॉन्च करना चाहिए, ताकि कई देशों द्वारा अलग-अलग सैटेलाइट लॉन्च करने की आवश्यकता नहीं हो। हालांकि, चीन और रूस इस मामले में सबसे बड़े खतरे के रूप में उभरकर सामने आए हैं। हाल ही में, चीन का रॉकेट अगस्त में फट गया था, जिससे हजारों कचरे के टुकड़े फैल गए। इसी तरह, रूस के रॉकेट के फटने से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खतरा उत्पन्न हो गया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि धरती की निचली कक्षा अब सैटेलाइट्स से भर गई है, जिससे अंतरिक्ष में टक्कर का खतरा बढ़ गया है। वैज्ञानिकों ने इस खतरे को लेकर पहले भी चेतावनी दी थी, और उनका मानना है कि इस समस्या से निपटने के लिए सभी देशों और कंपनियों को जिम्मेदारी से काम करने की जरूरत है।
#SpaceJunk, #Satellites, #SunlightBlockage, #LowerEarthOrbit, #SpaceTrafficCoordination