Roorkee

सूर्य तिलक राम नवमी: इंतजार की घडी हुई ख़त्म, दो साल की कड़ी मेहनत के बाद इस तरह होगा भगवान श्रीराम जी का अभिषेक।

Published

on

रुड़की – सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) रुड़की के वैज्ञानिकों की एक टीम ने सूर्य तिलक मैकेनिज्म को तैयार किया है। इसके डिजाइन को तैयार करने में टीम को पूरे दो साल लग गए थे। 2021 में राम मंदिर के डिजाइन पर काम शुरू हुआ था।

सीबीआरआई के वैज्ञानिकों की एक टीम ने सूर्य तिलक मैकेनिज्म को इस तरह से डिजाइन किया है कि हर साल राम नवमी के दिन दोपहर 12 बजे करीब चार मिनट तक सूर्य की किरणें भगवान राम की प्रतिमा के माथे पर पड़ेंगी। इस निर्माण कार्य में सीबीआरआई के साथ सूर्य के पथ को लेकर तकनीकी मदद बेंगलूरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) की भी ली गई है। बेंगलूरु की एक कंपनी ऑप्टिका ने लेंस और ब्रास ट्यूब का निर्माण किया है।

प्रोजेक्ट सूर्य तिलक में एक गियर बॉक्स, रिफ्लेक्टिव मिरर और लेंस की व्यवस्था इस तरह की गई है कि मंदिर के शिखर के पास तीसरी मंजिल से सूर्य की किरणों को गर्भगृह तक लाया जाएगा। इसमें सूर्य के पथ बदलने के सिद्धांतों का उपयोग किया जाएगा। सीबीआरआई के वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप चौहान ने बताया कि, शत प्रतिशत सूर्य तिलक रामलला की मूर्ति के माथे पर अभिषेक करेगा।

राम नवमी की तारीख चंद्र कैलेंडर से निर्धारित होती है इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए कि शुभ अभिषेक निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हो, 19 गियर की विशेष व्यवस्था की गई है। डॉ. चौहान का कहना है कि, गियर-बेस्ड सूर्य तिलक मैकेनिज्म में बिजली, बैटरी या लोहे का उपयोग नहीं किया गया है।

एस्ट्रोनॉमी के क्षेत्र में भारत के प्रमुख संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) ने चंद्र और सौर (ग्रेग्रेरियन) कैलेंडरों के बीच जटिलतापूर्ण अंतर के कारण आने वाली समस्या का समाधान किया है। इसके बाद इस मैकेनिज्म को तैयार और सही जगह पर रखने में आसानी हुई।

डॉ. चौहान बताते हैं कि यह एक दिलचस्प वैज्ञानिक प्रयोग था। इसमें दो कैलेंडरों के 19 साल के रिपीट साइकल ने समस्या को हल करने में मदद की। राम मंदिर की तरह ही सूर्य तिलक मैकेनिज्म का उपयोग पहले से ही कोणार्क के सूर्य मंदिर और कुछ जैन मंदिरों में किया जा रहा है। हालांकि उनमें अलग तरह की इंजीनियरिंग का प्रयोग किया गया है। राम मंदिर में लगा मैकेनिज्म पहली बार इस तरह का प्रयोग है।

सीबीआरआई वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप चौहान ने बताया कि राम नवमी के दिन सूर्य तिलक को लेकर सभी को बेसब्री से इंतजार है। पूरा भारत देश इस दिन का इंतजार कर रहा है। राम मंदिर पूरा होने के बाद सूर्य तिलक मैकेनिज्म शुरू हो गया था। अब राम नवमी को करीब चार मिनट के लिए सूर्य तिलक होगा।

Advertisement

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Trending

Exit mobile version