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AI की नजर से नहीं बच पाएंगे टैक्स चोर! जानिए उत्तराखंड को इससे क्या होगा फायदा

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देहरादून। AI-  उत्तराखंड में अब गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) चोरी करने वालों के बुरे दिन आने वाले हैं। राज्य सरकार ने जीएसटी चोरी पर शिकंजा कसने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का सहारा लेने का फैसला किया है। इस कदम से टैक्स सिस्टम और ज्यादा मजबूत होगा और राजस्व बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

राज्य कर विभाग ने इसके लिए तकनीकी एक्सपर्ट्स की टीम को लगाया है, जो ऐसे आधुनिक टूल्स और सॉफ्टवेयर तैयार करेंगे, जिनकी मदद से कर चोरी करने वालों को ऑटोमैटिक तरीके से पहचानकर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी। गलत तरीके से जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराने या टैक्स सही से जमा न करने जैसे मामलों को AI की मदद से तुरंत पकड़ा जा सकेगा।

राजस्व बढ़ाने की बड़ी तैयारी

उत्तराखंड सरकार के लिए जीएसटी राजस्व का अहम हिस्सा है। हर साल राज्य कर के जरिए करीब 11,000 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाया जाता है, जिसमें से करीब 3,000 करोड़ रुपये स्टांप ड्यूटी से आते हैं। जीएसटी लागू होने से पहले टैक्स ग्रोथ करीब 15% थी, लेकिन नई व्यवस्था के बाद शुरुआत में राजस्व कम हो गया था। हालांकि, बीते कुछ वर्षों में वसूली में तेजी आई है, फिर भी टैक्स चोरी की चुनौती बनी हुई है।

डिजिटल फॉरेंसिक लैब भी बनेगी

राज्य कर विभाग सिर्फ AI पर ही नहीं, बल्कि एक डिजिटल फॉरेंसिक लैब भी तैयार कर रहा है। इसके लिए देश की एक प्रतिष्ठित फॉरेंसिक लैब से करार हो चुका है। यह लैब कर विभाग के भीतर ही स्थापित की जाएगी। अब तक टैक्स चोरी के मामलों में जब डिजिटल सबूत जैसे कंप्यूटर, मोबाइल या हार्ड डिस्क जब्त होते थे, तो जांच के लिए पुलिस विभाग पर निर्भर रहना पड़ता था। नई लैब के बाद जांच का काम विभाग खुद करेगा, जिससे कार्रवाई तेज और प्रभावी होगी।

राज्य कर आयुक्त सोनिका का कहा कि राज्य कर आयुक्त सोनिका ने बताया कि देश के कई राज्यों में AI का इस्तेमाल कर चोरी रोकने के लिए हो रहा है और अब उत्तराखंड भी इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। उनका कहना है कि इससे जीएसटी राजस्व में लीकेज को रोका जा सकेगा और राज्य की आमदनी में इजाफा होगा।

सरकार को उम्मीद है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और नई तकनीक के इस्तेमाल से जीएसटी चोरी पर पूरी तरह से लगाम लगेगी और राज्य के विकास के लिए ज्यादा धनराशि जुटाई जा सकेगी।

 

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