Chamoli
हेमकुंड साहिब के कपाट विधिवत हुए बंद, इस बार इतने लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
चमोली: हिमालय की गोद में बसे आस्था और श्रद्धा के केंद्र श्री हेमकुंड साहिब के कपाट आज शीतकाल के लिए विधिवत रूप से दोपहर 1:30 बजे बंद कर दिए गए। भारी बर्फबारी और कठिन मौसम की स्थिति को देखते हुए हर वर्ष की तरह इस बार भी यह धार्मिक स्थल सर्दियों में श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेगा। कपाट बंद होने के दौरान करीब 4,000 श्रद्धालु इस पावन क्षण के साक्षी बने।
इसके साथ ही गुरुद्वारे के समीप स्थित लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए गए। दोनों धार्मिक स्थलों पर शबद कीर्तन, सुखमणि साहिब का पाठ और अंतिम अरदास के साथ कपाट बंद किए गए। सेना के बैंड की मधुर धुनों और श्रद्धा से ओत-प्रोत माहौल ने इस पल को अविस्मरणीय बना दिया।
इस साल की हेमकुंड यात्रा 25 मई से शुरू हुई थी और आज 10 अक्टूबर को समापन हुआ। इन 139 दिनों में 2 लाख 75 हजार से अधिक श्रद्धालु गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब पहुंचे और मत्था टेका। यह संख्या अब तक के सबसे अधिक दर्शन करने वालों में गिनी जा रही है।
हेमकुंड साहिब केवल सिखों के लिए ही नहीं…बल्कि हिंदू श्रद्धालुओं के लिए भी आस्था का केंद्र है। यहां गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब के साथ-साथ लोकपाल लक्ष्मण मंदिर भी स्थित है, जो दोनों धर्मों के बीच गहरे आध्यात्मिक संबंध का प्रतीक है।
15,225 फीट की ऊंचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब साल के लगभग 7–8 महीने बर्फ से ढका रहता है। बीते दिनों यहां भारी बर्फबारी हुई थी…लेकिन आज कपाट बंद होने के मौके पर मौसम ने भी श्रद्धालुओं का साथ दिया—बर्फीली घाटी, बादलों की ओट से झांकती धूप और पहाड़ियों की सफेद चादर ने माहौल को अलौकिक बना दिया।
हेमकुंड’ संस्कृत शब्दों ‘हेम’ (बर्फ) और ‘कुंड’ (ताल) से बना है..जिसका अर्थ है ‘बर्फ का तालाब’। इसी झील के किनारे पर गुरु गोविंद सिंह जी की तपोस्थली मानी जाने वाली यह दिव्य जगह स्थित है। पास ही स्थित लोकपाल लक्ष्मण मंदिर भी हिंदू आस्था का प्रमुख स्थल है।
इस वर्ष की यात्रा में श्रद्धालुओं का उत्साह, प्रकृति की चुनौतियों के बावजूद अद्भुत देखने को मिला। अब यह पावन स्थल अगले वर्ष मई 2026 में कपाट खुलने के साथ फिर से भक्तों का स्वागत करेगा।