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घर का इकलौते बेटे जंगल में गया आग बुझाने फिर नही लौटा वापस, पत्नी बदहवास बेटियों और माँ का रो-रो कर हो रहा बुरा हाल।

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अल्मोड़ा – इस साल दावानल ने जिले में सबसे अधिक कहर बरपाया है। सोमेश्वर रेंज में जंगल की आग में जलने से हुई युवक की मौत के बाद हर किसी की आंख में आंसू हैं और सरकारी तंत्र के खिलाफ आक्रोश। इस घटना में हंसते-खेलते परिवार की खुशियों पर ग्रहण लग गया। मृतक युवक महेंद्र जब सिर्फ छह माह का था, उसके पिता की मौत हो गई। मां ने किसी तरह संघर्षों से इकलौते बेटे को पाला और उम्र के अंतिम पड़ाव में वह उसी के सहारे जीवन जी रही थी। अब उसके जीवन का सहारा हमेशा के लिए उसका साथ छोड़ गया।

खाईकट्टा निवासी महेंद्र जब सिर्फ छह माह का था उसके पिता की मौत हो गई। मां राधा देवी ने किसी अकेले उसका पालन-पोषण कर उसका विवाह किया। वह घर के इलकौते चिराग, उसकी पत्नी पुष्पा और 18, 14, 11 साल की तीन पोतियों के साथ हंसी-खुशी जीवन जी रही थी। महेंद्र भी मेहनत-मजदूरी कर मां, पत्नी और तीनों बेटियों की हर जरूरत पूरी कर रहा था। सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन एक घटना ने इस परिवार की खुशियां हमेशा के लिए छीन लीं। महेंद्र ग्रामीणों के साथ अपने गांव को दावानल से सुरक्षित बचाने के लिए आग बुझाने जंगल गया। उसे यह मामलू नहीं था कि वहां मौत उसका इंतजार कर रही है। सभी ग्रामीण गांव की तरफ बढ़ रही आग को बुझाकर घर लौटे, लेकिन उसकी वापसी नहीं हो सकी।

75 वर्षीय मां, पत्नी और तीनों बेटियां उसके घर लौटने का इंतजार करते रहे, लेकिन दूसरे दिन सुबह उन्हें उसकी मौत की खबर मिली। अपने इकलौते बेटे को खोने वाली बूढ़ी मां और पिता को खोने वाली बेटियों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे, जबकि पत्नी बदहवास है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि युवक फिसलकर खाई में धधक रही आग के बीच फंस गया। घनघोर रात में किसी को घटना का पता नहीं चला। जब वह घर नहीं लौटा तो परिजनों की सूचना पर उसकी खोजबीन शुरू हुई, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

अल्मोड़ा जिले में पहले बारिश और अब जंगल की आग ने लोगों की नींद उड़ा दी है। जंगलों की सुरक्षा करने वाला वन विभाग दावानल की घटनाओं से अंजान है और लोग इसे बुझाते हुए अपनी जान गंवाने के लिए मजबूर हैं। सोमेश्वर रेंज के खाईकट्टा में भी जंगल में लगी आग ने ग्रामीणों की नींद उड़ाई। बृहस्पतिवार को जंगल में आग लग गई, लेकिन वन विभाग घटना से अंजान रहा। शुक्रवार सुबह तीन बजे तक ग्रामीण आग बुझाने में जुटे रहे। जब विभाग को इस घटना में एक युवक के जलने से मौत की सूचना मिली तो वन कर्मी मौके पर पहुंचे। यदि समय रहते वन विभाग जंगल में आग लगने की घटना का संज्ञान लेकर इस पर काबू पाने के लिए गंभीरता दिखाता तो शायद युवक को अपनी जान न गंवानी पड़ती। अब वन विभाग वन पंचायत के जंगल में आग लगने का हवाला देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा है।

अल्मोड़ा में बीते एक दशक में इस बार जंगल की आग ने अपना रौद्र रूप दिखाया, इस पर काबू पाने में सरकारी तंत्र पूरी तरह फेल साबित हुआ है। खुद वन विभाग के आंकड़े इसका प्रमाण हैं। इस फायर सीजन जिले में 149 घटनाओं में 275 हेक्टेयर से अधिक जंगल जलकर खाक हो गया। बीते एक दशक में जंगल की आग की चपेट में आने से किसी की मौत नहीं हुई। इस बार फायर सीजन में अब तक दो महिलाओं सहित पांच लोगों को जंगल की आग में जलने से अपनी जान गंवानी पड़ी है।

खाईकट्टा में जंगल की आग में जलने से युवक की मौत के मामले में वन विभाग केस दर्ज कराएगा। अधिकारियों के मुताबिक जंगल में आग लगाने वालों के खिलाफ केस दर्ज होगा। हैरानी है कि पूर्व में भी वन विभाग ने चार श्रमिकों की मौत के बाद अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कराया था, लेकिन अब तक इस घटना के दोषी का पता नहीं चल सका है।

डीएफओ दीपक सिंह ने कहा कि कोट- जंगल की आग में जलने से युवक की मौत हुई है। आग लगाने वालों के खिलाफ केस दर्ज होगा। पीड़ित परिवार को जल्द ही मुआवजा दिया जाएगा।

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