देहरादून – प्रदेश में स्टेडियम, ऑडिटोरियम, मेडिकल कॉलेज, औद्योगिक इकाई या कई अन्य निर्माण से पहले उस स्थान के आसपास यातायात प्रभाव आकलन कराना होगा। शासन ने इस संबंध में सभी विभागों को निर्देश जारी कर दिए हैं। ऐसी परियोजनाओं की स्वीकृति से पहले ट्रैफिक से होने वाले संभावित प्रभाव का आकलन करना जरूरी होगा।
सरकार ने यह निर्णय भविष्य में बढ़ने वाले ट्रैफिक दबाव के हिसाब से नीति नियोजन के उद्देश्य से किया है। अपर मुख्य सचिव आनंदबर्द्धन ने सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों व सचिवों को पत्र लिखकर उनसे अपने अधीनस्थ विभागों को दिशा-निर्देश जारी करने को कहा है। पत्र में कई विभागों द्वारा राज्य में समय-समय पर बड़ी निर्माण परियोजनाओं निर्माण एवं संचालन करने का जिक्र है।
कहा गया कि अलग-अलग विभाग स्टेडियम, ऑडिटोरिम, उद्योगों की स्थापना कार्यशाला, प्रशिक्षण केंद्र, कॉलेज और विश्वविद्यालय, अन्य शिक्षण संस्थान और मेडिकल कॉलेज आदि के निर्माण का स्वीकृति देते हैं। परियोजना का सही नियोजन न होने से उसके आसपास के इलाकों में अनियंत्रित यातायात का दबाव पैदा होने लगता है।
इस कारण स्थानीय नागरिकों को अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। नियोजित विकास में सुगम यातायात महत्वपूर्ण विषय है। पत्र में ऐसी बड़ी परियोजनाएं, जिनसे उसके आसपास के इलाकों में ट्रैफिक का दबाव बढ़ने की संभावना हो, उनका यातायात प्रभाव आकलन कराने को कहा गया है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, ऐसे निर्माण कार्यों के मानचित्र स्वीकृत कराते समय विभागों को यातायात प्रभाव आकलन की रिपोर्ट देनी भी अनिवार्य की जा सकती है। हालांकि, पत्र में इस तथ्य का जिक्र नहीं है।
उत्तराखंड की आबादी सवा करोड़ के आसपास है। इस आबादी पर 32 लाख से अधिक वाहनों का दबाव है। राज्य की सड़कों पर हर साल हजारों की संख्या में नए वाहन उतर रहे हैं। इससे बड़े ही नहीं अब छोटे-छोटे कस्बों में भी यातायात की समस्या पैदा हो रही है। विशेषकर उन स्थानों में ट्रैफिक का दबाव ज्यादा बढ़ रहा है, जहां नई निर्माण परियोजनाएं बनाई जा रही हैं।