देहरादून: उत्तराखंड राज्य सहकारी समिति निर्वाचन नियमावली में महत्वपूर्ण बदलाव किया जाएगा। इस बदलाव के तहत, कृषि ऋण सहकारी समितियों के वे सदस्य भी मतदाता सूची में शामिल होंगे जिन्होंने पिछले तीन वर्षों में किसी भी वर्ष समिति से कोई लेन-देन नहीं किया। इस बदलाव का प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा।
प्रदेश में आगामी 16 और 17 दिसंबर को सहकारी समितियों के चुनाव प्रस्तावित हैं। चुनाव में सभी सदस्य मतदान कर सकें, इसके लिए राज्य सहकारी निर्वाचन नियमावली में यह बदलाव किया जा रहा है। सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण के अध्यक्ष हंसा दत्त पांडे ने बताया कि जिला सहायक निर्वाचन अधिकारियों ने बताया था कि वर्तमान नियमावली के अनुसार, जिन सदस्यां ने समितियों से खाद, बीज, ऋण या किसी अन्य प्रकार का कोई लेन-देन नहीं किया है, वे चुनाव में मतदान करने के योग्य नहीं होंगे।
हालांकि, इस व्यवस्था से खासकर महिला सदस्य प्रभावित हो रही हैं। पांडे के मुताबिक, महिलाओं के लिए समितियों में 33 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई है, लेकिन इस नियम के चलते कई महिलाएं मतदान से वंचित हो रही हैं। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए, नियम 12 (ख) में छूट का प्रस्ताव किया गया है ताकि सभी सदस्य चुनाव में मतदान कर सकें।
सचिव सहकारिता दिलीप जावलकर के अनुसार, इस नियमावली में संशोधन के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव भेजा जाएगा। मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद ही नए बदलाव को लागू किया जा सकेगा।
कृषि विभाग के निदेशक केसी पाठक ने बताया कि प्रदेश में डीएपी खाद की कमी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार से 2,400 मीट्रिक टन डीएपी की मांग की गई है, जो जल्द ही उपलब्ध करवा दी जाएगी। विभाग के पास खाद की कोई कमी नहीं है और कहीं से भी इसके लिए शिकायत नहीं आई है।
वहीं, सचिव सहकारिता दिलीप जावलकर ने कहा कि सहकारिता विभाग यूरिया और डीएपी की केवल आपूर्ति करता है। इसकी कितनी जरूरत है, इसका मूल्यांकन कृषि विभाग द्वारा किया जाता है। हालांकि, हरिद्वार और कुछ अन्य जिलों के किसानों ने शिकायत की है कि क्षेत्र में उन्हें डीएपी खाद नहीं मिल पा रही है।