देहरादून: उत्तराखंड ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में दिल्ली में हुई एक ऊर्जा सम्मेलन में केंद्र सरकार से जल विद्युत परियोजनाओं के लिए विशेष वित्तीय सहायता की मांग की है। राज्य ने पूर्वोत्तर राज्यों की तर्ज पर जल विद्युत परियोजनाओं के लिए दो करोड़ रुपये प्रति मेगावाट वीजीएफ (वॉयबिलिटी गैप फंडिंग) देने की अपील की है, ताकि सुदूरवर्ती क्षेत्रों में प्रस्तावित परियोजनाओं के उच्च खर्च को पूरा किया जा सके।
इस दौरान, ऊर्जा मंत्री पुष्कर सिंह धामी के नामित प्रतिनिधि कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने प्रदेश की ऊर्जा जरूरतों का खाका पेश किया और राज्य में पीक आवर्स के दौरान सस्ती बिजली की उपलब्धता के लिए बैटरी आधारित स्टोरेज सिस्टम की आवश्यकता पर जोर दिया। मंत्री उनियाल ने कहा, “सौर ऊर्जा को स्टोर करने के लिए बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम लगाया जाएगा, जिसके लिए केंद्र से वीजीएफ फंड की मांग की जा रही है।
इसके अलावा, उन्होंने ट्रांसमिशन टावरों की स्थापना से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा की और प्रभावित भूमि मालिकों को जमीन के बदले जमीन देने की प्राथमिकता देने की सिफारिश की। उन्होंने कहा, “राज्य में किसानों के पास कम जमीन है, इसलिए अगर भूमि के बदले जमीन मिलती है तो उनकी आजीविका प्रभावित नहीं होगी।” साथ ही, जमीन न मिलने पर बाजार दरों से चार गुना अधिक मुआवजा देने का भी प्रस्ताव दिया।
मंत्री सुबोध उनियाल ने यह भी सुझाव दिया कि ट्रांसमिशन लाइनों का निर्माण आबादी वाले क्षेत्रों के बजाय वन क्षेत्रों में किया जाए और इसके लिए फॉरेस्ट क्लीयरेंस प्रक्रिया को तेज किया जाए।
सम्मेलन में ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम, यूजेवीएनएल के एमडी डॉ. संदीप सिंघल, यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार और पिटकुल के एमडी पीसी ध्यानी भी मौजूद रहे।
#HydroelectricProjects, #ViabilityGapFunding, #BatteryEnergyStorage System, #UttarakhandEnergyNeeds, #TransmissionTowers