नई दिल्ली: सनातन धर्म में हर तिथि का विशेष महत्व है और उन तिथियों में से एक महत्वपूर्ण तिथि है कार्तिक पूर्णिमा। इस दिन को त्रिपुरारी पूर्णिमा और देव दीपावली (Dev Deepawali 2024) के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टि से है, बल्कि इस दिन विशेष पूजा-अर्चना, गंगा स्नान, और दान करने की भी परंपरा है। माना जाता है कि इस दिन किए गए पुण्य कार्यों से जीवन में सुख, समृद्धि और खुशियों का आगमन होता है।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व और मान्यता
कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2024) को लेकर धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, जिसने तीनों लोकों में आतंक मचा रखा था। इसलिए इस दिन को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं। साथ ही, इसी दिन गुरु नानक देव जी का जन्म भी हुआ था, जिसके कारण इस दिन को गुरू नानक जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
इस दिन विशेष रूप से गंगा स्नान और ध्यान का महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति को आत्मिक शांति मिलती है। इसके अलावा, दीप जलाने और दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है, और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है।
कार्तिक पूर्णिमा 2024 तिथि और समय
पंचांग के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा 2024 की शुरुआत 15 नवंबर को सुबह 06 बजकर 19 मिनट से होगी और इसका समापन 16 नवंबर को रात 02 बजकर 58 मिनट पर होगा। इस बार कार्तिक पूर्णिमा का पर्व 15 नवंबर को मनाया जाएगा।
कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली
देव दीपावली (Dev Deepawali 2024) का पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से वाराणसी और अन्य प्रमुख तीर्थ स्थलों पर मनाया जाता है। इस दिन देवी-देवताओं का पृथ्वी पर आगमन होता है, और उनके स्वागत के लिए दीप जलाए जाते हैं। खासकर, वाराणसी में इस दिन भव्य दीपमालिका सजाई जाती है, जो देखनें में अत्यंत आकर्षक होती है।
कार्तिक पूर्णिमा की पूजा विधि
इस दिन भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व है। साथ ही, गंगा स्नान और दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन किए गए कार्यों से जीवन में समृद्धि और खुशियां आती हैं।