देहरादून/डोईवाला – देहरादून शहर के दक्षिण से होकर गुजरने वाली सुसवा नदी पूरी तरह प्रदूषित हो चुकी है।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों व आम लोगों द्वारा कई बार सरकार से इस को प्रदूषण मुक्त करने की मांग उठाई जा चुकी है।
परंतु अभी तक सुसवा नदी का जल साफ और स्वच्छ नहीं हो पाया, आज आलम यह है कि इस नदी से जिस कृषि भूमि में सिंचाई होती है, वहां की फसलें भी प्रभावित हो रही हैं। वहां के किसानों में कई प्रकार की बीमारियां व चर्म रोग उत्पन्न हो रहे हैं। साथ ही इस नदी का पानी पीने वाले जानवर भी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। वहीं आज सुसवा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए मां कौशल्या बोरा फाउंडेशन के द्वारा स्थानीय लोगों व स्कूली छात्र छात्राओं के साथ डोईवाला में जागरूकता रैली निकाली गई और डोईवाला तहसीलदार के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया।
इस दौरान दृष्टिकोण समिति के अध्यक्ष मोहित उनियाल ने कहा कि देहरादून शहर का जितना भी कचरा है, वह रिस्पना व बिंदाल नदी के द्वारा सुसवा नदी में आकर मिलता है।
सुसवा नदी पर ही कई गांव की सिंचाई व्यवस्था निर्भर है। राजाजी नेशनल पार्क के जितने भी जानवर हैं, वह सभी यह पानी पीते हैं, साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के पालतू मवेशी भी यही पानी पीने को मजबूर हैं। दुख की बात यह है कि यह नदी गंगा जी में मिलती है, जो कि देहरादून शहर की पूरी गंदगी अपने साथ ढो रही है। आलम यह है कि इस नदी से सटे हुए ग्रामीण क्षेत्रों में कैंसर जैसी भयंकर बीमारी के लक्षण बढ़ रहे हैं, साथ ही देहरादून के प्रसिद्ध बासमती चावल की खेती भी प्रदूषित पानी से विलुप्त होती जा रही है।
किसान नेता उम्मेद बोरा ने कहा कि सुसवा नदी को बचाने के लिए आज संयुक्त किसान मोर्चा, पूर्व सैनिक संगठन, मंगल दल व तमाम छात्र छात्राओं के साथ जागरूकता रैली के द्वारा सरकार को जगाने की कोशिश की गई है, उम्मीद करते हैं कि सरकार इस और जल्द ध्यान देगी और सुसवा नदी को प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी।