नैनीताल: हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में हुई हिंसा के आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर आज नैनीताल हाईकोर्ट में एक साथ सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने की, लेकिन फिलहाल आरोपियों को कोई राहत नहीं दी गई। कोर्ट ने राज्य सरकार से आरोपियों के प्रार्थना पत्र पर अपनी आपत्ति दर्ज करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद करने का आदेश दिया।
7 मार्च को हुई सुनवाई के दौरान, आरोपी अब्दुल मोईद ने कोर्ट में एक अतिरिक्त शपथ पत्र पेश किया। शपथ पत्र में मोईद ने दावा किया कि वह हिंसा के वक्त घटनास्थल पर मौजूद नहीं था और उसने अपने पक्ष में कई साक्ष्य और बयान भी प्रस्तुत किए। कोर्ट ने राज्य सरकार से इन साक्ष्यों की जांच कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
वहीं, कोर्ट ने अब्दुल चौधरी की जमानत याचिका पर भी सुनवाई की। सरकार को निर्देश दिया कि जो आरोपी घटना के समय वहां मौजूद थे, उनका चार्जशीट बनाकर कोर्ट में पेश किया जाए। याचिकाकर्ता का कहना है कि उसे बेवजह इस मामले में शामिल किया जा रहा है और इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए। कई आरोपियों की जमानत हो चुकी है और उन्हें साक्ष्यों के अभाव में रिहा किया गया है, ऐसे में उनके मामले में भी यही आधार हो।
बनभूलपुरा हिंसा:
8 फरवरी 2024 को हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में प्रशासन और पुलिस की टीम अतिक्रमण हटाने आई थी, तभी अतिक्रमणकारियों और उपद्रवियों ने पथराव कर दिया। इससे हिंसा भड़क उठी, जिसमें आगजनी, फायरिंग और कई गाड़ियों को जलाया गया। इस हिंसा में कुछ लोगों की मौत हुई, जबकि कई पुलिसकर्मी और अन्य लोग घायल हुए थे। पुलिस ने इस मामले में अब्दुल मलिक, अब्दुल मोईद और अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
पुलिस ने अब्दुल मलिक और उसके बेटे अब्दुल मोईद को मुख्य आरोपी घोषित किया था। पहले की सुनवाई में हाईकोर्ट ने अब्दुल मलिक की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी और उन्हें जिला न्यायालय में जमानत अर्जी दायर करने को कहा था। फिलहाल सभी आरोपी जेल में बंद हैं और अब अग्रिम जमानत की याचिका पर सुनवाई हो रही है।
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