Haldwani
बानी की दर्दनाक कहानी: मां खो दी, अब कभी नहीं जी पाएगी जंगल का जीवन, पढ़िए दिल को छू लेने वाली स्टोरी…
हल्द्वानी: 11 महीने पहले सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हुई हथिनी बानी के लिए घर लौटना अब एक मुश्किल सपना बन गया है। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, हथिनी बानी अब जंगल के वातावरण से पूरी तरह से अजनबी हो चुकी है और इंसानों के साथ रहने के कारण वह अब प्रकृति के बीच सामंजस्य नहीं बिठा पाएगी।
14 दिसंबर 2023 की रात गौला रेंज के बिंदुखत्ता में ट्रेन के इंजन की चपेट में आकर बानी गंभीर रूप से घायल हो गई थी। हादसे में उसकी मां की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि बानी को गंभीर चोटें आईं। यह हादसा सुनकर हर कोई द्रवित हो गया था, क्योंकि सिर्फ 15 महीने की बानी को अपनी मां और जंगल दोनों से जुदा होना पड़ा था। वन विभाग और चिकित्सकों ने उसकी हालत को गंभीर बताते हुए उसे बचाने की उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन उसकी जीवटता ने उसे बचा लिया।
बानी को इलाज के लिए हल्द्वानी के पशु चिकित्सालय में भर्ती किया गया था, जहां उसके स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो रहा था। फिर उसे वाइल्डलाइफ एसओएस अस्पताल, आगरा भेजा गया, जहां थाइलैंड, कोरिया और मलेशिया से आए विशेषज्ञों ने उसकी चिकित्सा की। अब बानी का स्वास्थ्य तेजी से सुधर रहा है, लेकिन उसकी चोट गहरी थी, और वह अपने पैरों पर नहीं खड़ी हो पा रही है। बानी अभी भी सहारे के साथ अस्पताल में घूमती रहती है।
बानी के वजन में भी बढ़ोतरी हो रही है। जब वह हादसे का शिकार हुई थी, तब उसका वजन मात्र ढाई क्विंटल था, लेकिन अब वह पांच क्विंटल तक बढ़ चुका है।
बानी को दूध पीने में भी परेशानी थी, क्योंकि वह बहुत छोटी थी जब यह हादसा हुआ। वन विभाग के माइक्रोबॉयोलाजिस्ट प्रशांत कुमार ने उसे इलाज के दौरान दूध पीना सिखाया और अपनी मां की तरह उसका ख्याल रखा। बानी आज भी जब प्रशांत कुमार को देखती है, तो खुशी से उछल पड़ती है।
लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि अब बानी इंसानों के बीच इतनी घुल-मिल गई है कि वह जंगल के तौर-तरीके भूल चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि बानी को अब जंगल में छोड़ा नहीं जा सकता, क्योंकि वह वहां के वातावरण और जीवनशैली से पूरी तरह अजनबी हो चुकी है।
हाथियों का पर्यावरण में महत्व
बानी जैसे हाथी पर्यावरण के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। वे 18 घंटे तक भोजन करते हैं और जो खाया जाता है, उसका आधा हिस्सा पचता है और आधा बाहर निकलता है। इस प्रक्रिया से जंगलों का विस्तार होता है क्योंकि हाथी के मल से नए पौधों और पेड़ों का विकास होता है, जो जंगलों के आकर को बढ़ाते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करते हैं।
अब बानी का इलाज चल रहा है, लेकिन उसके जंगल में लौटने की संभावना लगभग खत्म हो चुकी है। विशेषज्ञों ने वन विभाग से अपील की है कि उसे मानव देखभाल में ही रखा जाए और उसके स्वास्थ्य की नियमित देखरेख की जाए।
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