नैनीताल : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन पौड़ी को कालागढ़ बांध के समीप स्थित खाली और जर्जर आवासों को ध्वस्त करने की अनुमति दे दी है। सोमवार को मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में जिलाधिकारी पौड़ी के ध्वस्तीकरण के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान पौड़ी गढ़वाल के जिला मजिस्ट्रेट आशीष कुमार चौहान ने न्यायालय में हलफनामा दायर कर बताया कि कालागढ़ क्षेत्र में 72 जर्जर संरचनाएं पाई गई हैं, जो अब ढहने की स्थिति में हैं।
इसके अलावा, 25 अन्य संरचनाएं, जो पहले सिंचाई विभाग से वन विभाग को हस्तांतरित की गई थीं, भी खस्ताहाल हैं और इन्हें ध्वस्त करने की आवश्यकता है। यह मामला कालागढ़ कल्याण एवं उत्थान समिति द्वारा जिलाधिकारी के आदेश के खिलाफ दायर की गई याचिका से जुड़ा हुआ था।
सर्वेक्षण में आया जर्जर ढांचों का खुलासा
12 फरवरी 2025 को किए गए संयुक्त निरीक्षण में राजस्व, वन, सिंचाई और पुलिस विभागों के अधिकारियों ने इन सभी ढांचों का विस्तृत सर्वेक्षण किया। इस निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि कालागढ़ क्षेत्र कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में स्थित है, और यह क्षेत्र वन्यजीव संरक्षण के लिए आरक्षित है। यहां अवैध निर्माणों और मानव निवास की अनुमति नहीं दी जा सकती।
न्यायालय का आदेश: जर्जर संरचनाएं अब रहने लायक नहीं
न्यायालय ने प्रस्तुत साक्ष्यों और फोटोग्राफ्स के आधार पर माना कि ये संरचनाएं पूरी तरह से खस्ताहाल और जर्जर हो चुकी हैं, और अब मानव निवास के लिए अनुपयुक्त हो चुकी हैं। न्यायालय ने यह भी कहा कि इन ढांचों के बने रहने से वन्यजीवों को खतरा हो सकता है, क्योंकि ये संरचनाएं कभी भी गिर सकती हैं और वन्यजीवों की आवाजाही में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं।
ध्वस्तीकरण के लिए 15 दिनों का नोटिस
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि कुछ याचिकाकर्ताओं ने आपत्ति जताई थी कि कुछ संरचनाओं की छतें अन्य मकानों से जुड़ी हुई हैं, लेकिन इसके समर्थन में कोई ठोस प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, न्यायालय ने जिला मजिस्ट्रेट और जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक को निर्देश दिया कि वे सार्वजनिक नोटिस जारी करें, और इन ढांचों को ध्वस्त करने से पहले कम से कम 15 दिनों की सूचना दी जाए।
साथ ही, न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि जहां लोग स्थायी रूप से निवास कर रहे हैं, वहां की संरचनाओं को कोई क्षति न पहुंचे। प्रशासन को यह प्रक्रिया यथाशीघ्र और कुशलतापूर्वक संपन्न करनी होगी। डीएम और टाइगर रिजर्व निदेशक को न्यायालय में अनुपालन रिपोर्ट भी प्रस्तुत करनी होगी।