इज़रायल और लेबनान के हिजबुल्लाह के बीच युद्ध विराम समझौता हो गया है, जो बुधवार तड़के से लागू हो गया है। यह समझौता अमेरिका के मध्यस्थता से हुआ है और इसके तहत दोनों पक्षों के बीच लंबे समय से जारी तनाव को कम करने की कोशिश की जा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस समझौते की घोषणा करते हुए कहा कि यह दो महीने के लिए लागू रहेगा, जिससे दोनों देशों के नागरिकों को राहत मिलेगी।
समझौते की प्रमुख शर्तें
इस युद्ध विराम समझौते के तहत हिजबुल्लाह के लड़ाकों को दक्षिणी लेबनान से करीब 40 किलोमीटर पीछे हटना होगा, जबकि इज़रायल की सेना को लेबनान के इलाके से पूरी तरह से बाहर निकलना होगा। एक अंतरराष्ट्रीय निगरानी समूह, जिसमें अमेरिका और फ्रांस का सहयोग शामिल है, यह सुनिश्चित करेगा कि सभी पक्ष इस समझौते का पालन कर रहे हैं। समझौते के मुताबिक, हिजबुल्लाह के हथियार और गोला-बारूद को हटाना सुनिश्चित किया जाएगा और इस क्षेत्र की सुरक्षा लेबनान की सेना के हाथों में होगी।
लंबे समय से जारी तनाव को खत्म करने की उम्मीद
यह युद्ध विराम समझौता पिछले 13 महीने से जारी तनाव को कम करने में मदद करेगा। इस साल सितंबर में दोनों पक्षों के बीच तनाव ने युद्ध का रूप ले लिया था। इस समझौते से दोनों देशों के नागरिकों को शांति का अवसर मिलेगा और स्थानीय लोग अपने घरों को लौट सकेंगे।
इज़रायल और हिजबुल्लाह की प्रतिक्रिया
इज़रायल की सुरक्षा समिति ने इस समझौते को 10-1 के बहुमत से मंजूरी दी। इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस समझौते में अमेरिकी मध्यस्थता की सराहना की, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट किया कि इज़रायल अपने सुरक्षा अधिकारों को बरकरार रखेगा। नेतन्याहू ने कहा, “अगर हिजबुल्लाह इस समझौते का उल्लंघन करता है या खुद को फिर से हथियारबंद करता है, तो इज़रायल को पूरी स्वतंत्रता है कि वह सैन्य कार्रवाई करे।”
लेबनान की सेना और अंतरराष्ट्रीय निगरानी
समझौते के तहत लेबनान की सेना को दक्षिणी क्षेत्र में लगभग 5,000 सैनिक तैनात करने होंगे। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र शांति सेना और एक अंतरराष्ट्रीय निगरानी समिति इस समझौते की निगरानी करेगी। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि युद्ध विराम के उल्लंघन की स्थिति में लेबनानी सैनिक हिजबुल्लाह के लड़ाकों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करेंगे या नहीं।