देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को सचिवालय में आयोजित पेयजल और जलागम की बैठक में आगामी 30 वर्षों की जलापूर्ति और जल संरक्षण की रणनीतियों पर चर्चा की। उन्होंने राज्य में जल स्रोतों, नदियों और जल धाराओं के पुनर्जीवीकरण के लिए जनसहयोग और सुझाव लेने पर जोर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले दशकों की आवश्यकताओं के अनुरूप जल संचय और जल संरक्षण के लिए ठोस कार्ययोजना बनाई जाए।
मुख्यमंत्री ने जल जीवन मिशन के तहत कनेक्शनों से नियमित जलापूर्ति सुनिश्चित करने, पुराने जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण और नए जल स्रोतों के चिन्हांकन का निर्देश दिया। इसके साथ ही पानी के स्टोरेज टैंक और पेयजल टेंकर की नियमित सफाई करने का भी निर्देश दिया। राज्य में पेयजल की गुणवत्ता की समय-समय पर टेस्टिंग की जाए और प्राकृतिक जल स्रोतों के पानी का अधिक उपयोग करने के लिए लोगों को जागरूक किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में जल सखी, जल पुनरुपयोग और पेयजल प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके तहत जल सखी कार्यक्रम के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों को जोड़ते हुए बिलिंग, बिल सुधार और योजनाओं के रखरखाव की योजना बनाई जा रही है। इसके अलावा, एसटीपी से उपचारित जल को बागवानी, सिंचाई, औद्योगिक क्षेत्र, नर्सरी, कृषि आदि में उपयोग में लाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने राज्य के जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना की सराहना की, जो पर्वतीय कृषि को लाभकारी बनाने के साथ-साथ ग्रीन हाउस गैसों के प्रभाव को कम करने के प्रयासों पर आधारित है। उन्होंने कृषकों को कार्बन क्रेडिट से फायदा देने की योजना का भी उल्लेख किया।
बैठक में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव शैलेश बगोली और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।