देहरादून: देहरादून स्थित केंद्रीय विद्यालय ओएनजीसी में रविवार को आयोजित सीबीएसई कार्यालय अधीक्षक और जूनियर सहायक भर्ती परीक्षा में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब बायोमीट्रिक वेरिफिकेशन में एक अभ्यर्थी की पहचान मेल नहीं खाई। जांच में सामने आया कि असली अभ्यर्थी की जगह कोई और परीक्षा दे रहा था।
पकड़े गए युवक ने खुद को आयुष कुमार पाठक (नौहटा, जिला रोहतास, बिहार) बताया और स्वीकार किया कि वह गौतम कुमार पासवान के स्थान पर परीक्षा देने आया था। मामले की सूचना मिलते ही कैंट कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और उसे हिरासत में ले लिया।
पुलिस पूछताछ में आयुष ने बताया कि उसे यह काम करने के लिए राजगीर, नालंदा (बिहार) निवासी प्रणव कुमार उपाध्याय ने तीन लाख रुपये देने का वादा किया था। वहीं, प्रणव ने असली अभ्यर्थी को परीक्षा में पास कराने के लिए 10 लाख रुपये की गारंटी ली थी।
पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए गिरोह के सरगना प्रणव को कौलागढ़ क्षेत्र में एक होटल के बाहर से गिरफ्तार कर लिया है।
एसएसपी अजय सिंह ने जानकारी दी कि यह गिरोह केंद्रीय स्तर की कई परीक्षाओं में अपने साल्वर भेज चुका है। पुलिस अब सीबीएसई समेत अन्य संस्थानों से पत्राचार कर इस गिरोह की गतिविधियों की जांच कर रही है।
पकड़ा गया आयुष कुमार खुद एसएससी की तैयारी कर रहा था, लेकिन शॉर्टकट में मोटी कमाई के लालच में उसने परीक्षा देना ही अपना धंधा बना लिया। एक परीक्षा के बदले दो से तीन लाख रुपये तक की डील होती थी। धीरे-धीरे वह गिरोह का पसंदीदा साल्वर बन गया। देहरादून में उसका यह खेल उजागर हो गया, जिससे अब उसका भविष्य अधर में लटक गया है।
पुलिस अब इस अंतरराज्यीय नकल गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में जुट गई है। साथ ही यह भी पता लगाया जा रहा है कि कहीं अन्य परीक्षाओं में भी इसी तरह की सेटिंग तो नहीं हुई है।
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