Dehradun

उत्तराखंड पुलिस को लेकर डीजीपी का बड़ा एक्शन! सभी अधिकारियों को दिए सख्त निर्देश

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देहरादून: उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ की अध्यक्षता में मंगलवार को प्रदेशभर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित की गई। इस बैठक में गढ़वाल और कुमाऊं रेंज के साथ सभी जनपदों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों ने हिस्सा लिया।

बैठक के दौरान डीजीपी सेठ ने अधिकारियों को गंभीर अपराधों की जांच प्रक्रिया को और अधिक गुणवत्तापूर्ण, समयबद्ध और पारदर्शी बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने यह साफ कहा कि चार्जशीट, जांच रिपोर्ट और अंतिम रिपोर्ट जैसी विवेचनाओं का सीनियर लेवल पर व्यक्तिगत पर्यवेक्षण आवश्यक है, ताकि किसी भी स्तर पर लापरवाही न हो।

डीजीपी ने बताया कि पुलिस मुख्यालय द्वारा अधिकतर अपराधों के लिए सरल और अपराध-आधारित एसओपी (SOP) पहले से तैयार की गई हैं, जिन्हें अब नए आपराधिक कानूनों के अनुसार अपडेट करना ज़रूरी है।

उन्होंने सभी अधिकारियों को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा जांच प्रक्रिया को लेकर की गई अपेक्षाओं से अवगत कराया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि हर जांच में इन्वेस्टिगेशन प्लान, वैज्ञानिक साक्ष्य, वीडियोग्राफी और इलेक्ट्रॉनिक सबूत का समावेश होना बेहद जरूरी है।

डीजीपी ने यह भी कहा कि विवेचक को अभियोजन अधिकारियों से पहले ही समन्वय स्थापित कर लेना चाहिए, जिससे अदालत में केस की मजबूत और प्रभावी प्रस्तुति हो सके।

उन्होंने थानों से लेकर जिले तक की जांच व्यवस्था को मजबूत बनाने पर बल देते हुए कहा कि प्रत्येक स्तर पर कमियों की पहचान कर समय पर सुधार सुनिश्चित किया जाए। मुख्यालय से जारी निर्देशों की अनदेखी करने पर विवेचक से लेकर अपर पुलिस अधीक्षक तक की जवाबदेही तय की जाएगी।

बैठक में सभी जनपद प्रभारियों ने अपने-अपने सुझाव साझा किए। वहीं मुख्यालय स्तर पर मौजूद वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने अनुभवों के आधार पर विवेचना की गुणवत्ता सुधारने को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

बैठक के कुछ मुख्य निर्देश इस प्रकार रहे:

विवेचकवार जांच की नियमित समीक्षा O.R. के माध्यम से सुनिश्चित की जाए।

सभी जनपदों में क्षेत्राधिकारी व अपर पुलिस अधीक्षक स्तर तक साप्ताहिक अपराध समीक्षा कार्ययोजना तैयार की जाए।

जांच में वैज्ञानिक साक्ष्य, वीडियोग्राफी और इन्वेस्टिगेशन प्लान अनिवार्य रूप से शामिल किए जाएं।

न्यायालयों द्वारा दिए गए निर्देशों को जनपद स्तर की क्राइम मीटिंग में अनिवार्य रूप से साझा किया जाए।

3000 विवेचकों को नए कानून, वैज्ञानिक साक्ष्य, महिला/बाल अपराध व अभियोजन समन्वय पर प्रशिक्षण दिया जाए।

जनपद स्तर पर नियमित इन-हाउस प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाएं।

विवेचकों के वर्कलोड का मूल्यांकन कर उनकी जांच क्षमता का आंकलन किया जाए।

सर्किल स्तर पर क्राइम मीटिंग व मासिक अपराध समीक्षा का रिकॉर्ड नियमित रूप से मुख्यालय को भेजा जाए।

डीजीपी ने कहा कि पुलिसिंग लगातार बदलती चुनौतियों से भरा कार्य है…जहां जिम्मेदारी, दबाव और जवाबदेही तीनों का संतुलन जरूरी है। उन्होंने अधिकारियों से अपेक्षा जताई कि वे निष्पक्षता और पेशेवर दक्षता के साथ ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करें, जिससे जनता का भरोसा और मजबूत हो।

 

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