Dehradun
कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत के खिलाफ ईडी ने की बड़ी कार्रवाई , 70 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच…..
देहरादून : उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री और कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने उनकी सहसपुर स्थित 101 बीघा जमीन को अटैच कर लिया है, जिसकी अनुमानित कीमत 70 करोड़ रुपये बताई जा रही है। यह जमीन उनकी पत्नी दीप्ति रावत और करीबी सहयोगी लक्ष्मी राणा के नाम पर खरीदी गई थी। इस भूमि पर दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस का निर्माण हुआ है, जिसका संचालन उनके बेटे तुषित रावत करते हैं।
अवैध पेड़ कटाई और जमीन फर्जीवाड़ा मामले में कार्रवाई:
ईडी की यह कार्रवाई कार्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरो रेंज में टाइगर सफारी के नाम पर हजारों पेड़ों की अवैध कटाई और निर्माण से जुड़ी जांच का हिस्सा है। आरोप है कि यहां 163 पेड़ों की कटाई की अनुमति थी, लेकिन भारतीय वन सर्वेक्षण की सैटेलाइट जांच में 6,000 से अधिक पेड़ों की अवैध कटाई का खुलासा हुआ। इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों ने बिना वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति के बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य भी किया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट की उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने हरक सिंह रावत की भूमिका पर सवाल उठाए।
ईडी की जांच और छापेमारी:
दिसंबर 2023 में ईडी ने इस मामले की जांच तेज कर दी थी और फरवरी 2024 में उत्तराखंड, हरियाणा और दिल्ली में 17 ठिकानों पर छापेमारी की। इन छापेमारी में 1.10 करोड़ रुपये नकद, 80 लाख रुपये का 1.3 किलो सोना, 10 लाख रुपये की विदेशी मुद्रा और कई अहम दस्तावेज़ जब्त किए गए। ईडी ने हरक सिंह रावत, उनके बेटे तुषित रावत, पत्नी दीप्ति रावत और करीबी सहयोगियों के ठिकानों पर छापे मारे। इस कार्रवाई के दौरान कई बैंक लॉकर, डिजिटल डिवाइस और अचल संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज भी सीज किए गए हैं।
दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस की जांच:
इसके अलावा, हरक सिंह रावत के बेटे के द्वारा संचालित दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस भी जांच के घेरे में है। ईडी ने यह पता लगाने की कोशिश की है कि क्या इस संस्थान में मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए अर्जित धन का उपयोग किया गया। ईडी की जांच में बीरींद्र कंडारी, नरेंद्र वालिया, और लक्ष्मी राणा जैसे करीबियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है। लक्ष्मी राणा के पेट्रोल पंप और अन्य संपत्तियों पर भी छापे मारे गए हैं।
राजनीतिक हलचल:
ईडी की इस कार्रवाई ने उत्तराखंड की राजनीति में हलचल मचा दी है। भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। विपक्ष ने इस कार्रवाई को भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा कदम बताया है, जबकि हरक सिंह रावत के समर्थकों का कहना है कि यह कार्रवाई राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है।