Delhi
नहीं होंगे बैलेट पेपर से चुनाव , सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर प्रणाली फिर से लागू करने की याचिका को किया खारिज….
नई दिल्ली: माननीय उच्चतम न्यायालय ने भारतीय चुनावी प्रक्रिया में बैलेट पेपर प्रणाली को फिर से लागू करने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका डॉ. के. ए. पौल द्वारा दायर की गई थी, जिसमें उन्होंने ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) से छेड़छाड़ के आरोप लगाए थे और बैलेट पेपर सिस्टम को पुनः लागू करने की मांग की थी।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के दावे को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की कि जब राजनीतिक नेता चुनाव जीतते हैं तो ईवीएम पर कोई सवाल नहीं उठाते, लेकिन जैसे ही वे हारते हैं, वे ईवीएम में छेड़छाड़ की संभावना की बात करते हैं। न्यायालय ने कहा, “अगर आप चुनाव जीतते हैं तो ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं होती है, और जब आप चुनाव हारते हैं तो ईवीएम से छेड़छाड़ होती है।”
याचिका में ईवीएम से संबंधित कई दावे पेश किए गए थे, जिनमें यह आरोप लगाया गया था कि चुनाव में हुई असंगतता और हार का कारण ईवीएम में छेड़छाड़ हो सकता है। उच्चतम न्यायालय ने इस दावे को खारिज करते हुए बताया कि यह केवल हार के बाद की प्रतिक्रिया होती है और इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
न्यायालय ने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे चंद्रबाबू नायडू ने अपनी हार के बाद ईवीएम से छेड़छाड़ की बात उठाई थी, ठीक उसी तरह इस बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने भी हारने के बाद यही आरोप लगाए थे। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि जब तक कोई ठोस और विश्वसनीय प्रमाण नहीं है, तब तक इस तरह के आरोपों को नहीं माना जा सकता।
इस फैसले के बाद, भारतीय निर्वाचन आयोग को राहत मिली है, जो लगातार ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जाने के बाद इसे सुरक्षित और पारदर्शी मानता आया है। उच्चतम न्यायालय का यह निर्णय भारतीय चुनाव प्रणाली में ईवीएम के उपयोग को लेकर एक महत्वपूर्ण संदेश देता है और राजनीतिक नेताओं को अपनी हार पर आरोप लगाने से पहले उचित प्रमाण प्रस्तुत करने की सलाह देता है।
इस मामले में न्यायालय ने कहा, “चुनाव प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी का आरोप लगाने से पहले साक्ष्य और तथ्यों की पुष्टि आवश्यक है।”
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