दिल्ली – अब फैक्टरी लाइसेंस लेना पहले से आसान हो गया है। अब ये नौ दिन में बन जाएगा, बशर्ते जमा किए गए दस्तावेज सही और ठीक क्रम में हों। पहले लाइसेंस बनने में 30-45 दिन लग जाते थे। उद्यमियों की सहूलियत और निगम के राजस्व को बढ़ाने के उद्देश्य से फैक्टरी लाइसेंसिंग विभाग ने नए लाइसेंस निर्माण और पुराने के नवीनीकरण की प्रक्रिया को भी आसान किया है।
ऑनलाइन फैक्टरी लाइसेंस बनवाने की नीति में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। नए लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदन करते समय अपलोड किए जाने वाले आवश्यक दस्तावेज की संख्या को सात से घटाकर चार कर दिया गया है।
अब केवल स्वामित्व या किरायेदारी प्रमाण और मालिक से एनओसी, स्वीकृत भवन योजना या संरचनात्मक सुरक्षा प्रमाण पत्र (बेसमेंट को छोड़कर लागू मंजिलों के लिए), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) से एनओसी, यदि परिसर एरिया 250 वर्ग मीटर से अधिक है तो फायर एनओसी अपलोड करना पड़ेगा। परिसर एरिया 250 वर्ग मीटर से कम है तो फायर एनओसी नहीं जमा करनी है। लाइसेंस पर क्यूआर कोड बना होगा, इससे लाइसेंसधारी को सत्यापन के लिए लाइसेंस की भौतिक प्रति साथ नहीं रखनी पड़ेगी।
लाइसेंस बनाने के लिए बैठकें और शिविर लगेंगे
फैक्टरी लाइसेंस बनवाने के लिए उद्यमियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए सभी 12 जोन में औद्योगिक क्षेत्रों में सुविधा शिविरों का आयोजन नियमित रूप से करने का फैसला किया है। फैक्टरी लाइसेंसिंग विभाग के अधिकारी उद्यमियों के मुद्दों को हल करेंगे, इसके लिए ये औद्योगिक संघ के प्रतिनिधियों के साथ नियमित रूप से बातचीत करेंगे।
ऑनलाइन आवेदन प्रणाली में सुधार
फैक्ट्री लाइसेंसिंग विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ऑनलाइन पोर्टल को सरल बनाया गया है, इससे उद्यमियों को फैक्टरी लाइसेंस के लिए आवेदन करने में सुविधा होगी। उद्यमियों की शिकायत पर एनआईसी पोर्टल में बदलाव किए गए है, भविष्य में शिकायतों के समाधान के लिए एक अलग टीम तैनात की गई है।
लाइसेंस बनवाने के लिए शपथपत्र भी जमा करने से छूट दी गई है, अब लाइसेंस के पीछे नियम और शर्तें मुद्रित रहेंगी। आवेदन फार्म से गैर जरूरी विषयों को हटाया है। प्रक्रिया प्रवाह चार्ट, कच्चे माल की सूची, अपशिष्ट उत्पाद सूची, आगे और पीछे की खाली जगह, लैंडलाइन नंबर, दो स्थानों पर पता क्षेत्र इत्यादि कॉलम अब हटा दिया है।
निगम का राजस्व बढ़ाने पर जोर
प्रक्रिया का सरल बनाने का उद्देश्य लोगों की सहूलियत और राजस्व बढ़ाने पर जोर है। एमसीडी ने वित्त वर्ष 2023-24 में कुल 6568 फैक्टरी लाइसेंस बनाए और 12.16 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया। इसी प्रकार 2022-23 में 16202 लाइसेंस बनाए और 16.98 करोड़ रुपये का राजस्व मिला। 2021-22 में 11867 लाइसेंस बने और 12.91 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया। 2020-21 में 10501 लाइसेंस बने और 6.25 करोड़ रुपये का राजस्व मिला, 2019-20 में 9211 लाइसेंस बने और 8.59 करोड़ रुपये राजस्व मिला और 2018-19 में 16507 लाइसेंस बने और 6.04 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल किया।