Dehradun
मधुमेह और आयरन की कमी के रोगियों के लिए खुशखबरी: नई धान प्रजातियां तैयार !
देहरादून – मधुमेह के रोगियों के लिए एक राहत भरी खबर है! अब वे चावल का सेवन कर सकेंगे, जिसे उनके डॉक्टर ने मना कर रखा था। राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक, ने धान की नई प्रजातियों के अनुसंधान पर काम शुरू कर दिया है, जो शुगर के रोगियों को चावल खाने की अनुमति देंगे। इसके साथ ही, आयरन की कमी से जूझ रही महिलाओं के लिए भी यह चावल फायदेमंद होगा, जिससे उन्हें आवश्यक पोषण मिल सकेगा।
शोध की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
दून में आयोजित एक कार्यक्रम में, राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. एके नायक ने इस शोध कार्य की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि देश में चावल खाद्य सामग्री का प्रमुख हिस्सा है, और यहां 1,450 धान की प्रजातियां उपलब्ध हैं। संस्थान का लक्ष्य नई प्रजातियों का विकास करना है, जिससे उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ उनके पोषण गुणों में भी सुधार हो सके।
जीनोम एडिटिंग तकनीक का प्रयोग
डॉ. नायक ने बताया कि संस्थान ने पहले ही उच्च प्रोटीन और जिंक युक्त चावल विकसित किया है। अब वे ऐसी धान की प्रजाति पर काम कर रहे हैं, जिससे मधुमेह रोगियों को समस्या न हो और आयरन की कमी को भी दूर किया जा सके। यह शोध कार्य चार वर्षों से चल रहा है, और उम्मीद है कि जल्द ही यह विशेष चावल तैयार होगा। इस शोध में परंपरागत विधियों के साथ-साथ जीनोम एडिटिंग तकनीक का भी सहारा लिया जा रहा है।
187 प्रजातियों का विकास
राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक, 1948 से कार्यरत है और अब तक 187 प्रजातियों का विकास कर चुका है। संस्थान ने बाढ़, सूखा, गर्म और सर्द क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न प्रजातियों को विकसित करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं।
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