देहरादून

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का बयान महामारी से निपटने के लिए उत्तराखंड में पर्याप्त है इंतजाम।

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देहरादून – स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि कोविड महामारी से निपटने के लिए उत्तराखंड में पर्याप्त इंतजाम है। किसी भी चुनौती से निपटने को स्वास्थ्य विभाग तैयार है। वर्तमान में 5893 ऑक्सीजन सपोर्ट आईसोलेशन बेड, 31 सौ से अधिक प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ उपलब्ध है।

बुधवार को नई दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में देशभर के स्वास्थ्य मंत्रियों की उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई। केंद्रीय मंत्री ने कोरोना के नए वैरिएंट को लेकर सभी राज्यों को तत्काल कदम उठाने, निगरानी बढ़ाने तथा लोगों से प्रभावी संवाद स्थापित करने को कहा है। उन्होंने किसी भी प्रकार की चुनौती से निपटने के लिए आपसी तालमेल के साथ कार्य करने की जरूरत है।

कोविड को लेकर जारी किए जरूरी दिशानिर्देश

बैथक में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने उत्तराखंड की तैयारियों का ब्योरा रखा। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग किसी भी परिस्थिति से निपटने को पूरी तरह से तैयार है। सभी जिलों के डीएम व सीएमओ को सरकार की ओर से कोविड को लेकर जरूरी दिशानिर्देश जारी किए गए।

इन्फ्लूएंजा और कोविड-19 जैसे सांस संबंधी बीमारियों के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट मोड पर रखा गया है। अस्पतालों में अधिक से अधिक संख्या में आरटीपीसीआर व एंटीजन जांच करने के निर्देश दिए गए। अभी तक राज्य में कोविड के वेरिएंट का कोई मामला सामने नहीं आया है।

प्रदेश में ये व्यवस्था

कोविड और इंफ्लूएंजा से ग्रसित मरीजों के लिए प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन और बेड की पर्याप्त व्यवस्था है। 5,893 ऑक्सीजन सपोर्टेड आइसोलेशन बेड, 1,204 आईसीयू बेड, वेंटीलेटर युक्त 894 आईसीयू बेड, 1,298 क्रियाशील वेंटीलेटर, 7,561 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 15,950 ऑक्सीजन सिलिंडर, 93 क्रियाशील पीएसए प्लांट, 807 क्रियाशील ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक उपलब्ध हैं। इसके साथ ही

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आरटीपीसीआर जांच के लिए 50 से अधिक लैब

वर्तमान में कोविड जांच के लिए प्रदेश में 50 से अधिक पैथोलॉजी लैब स्थापित है। इसमें 12 लैब सरकारी हैं। इसके अलावा पीएचसी और सीएचसी स्तर पर एंटी रैपिड टेस्ट की सुविधा है। 15 मार्च 2020 में प्रदेश में कोविड का पहला मामला सामने आया था। उस समय प्रदेश में कोविड सैंपल जांच के लिए एक भी लैब नहीं थी। सैंपल जांच के लिए हैदराबाद भेजे जाते थे।

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