दिल्ली : बिगड़ती लाइफस्टाइल की वजह से आजकल दिल की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं, और हार्ट अटैक का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में यह समझना बेहद जरूरी है कि नॉर्मल हार्ट रेट और डेंजर हार्ट रेट में क्या अंतर है और इनका स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है।
नॉर्मल हार्ट रेट: क्या होता है आरामदायक हार्ट रेट?
एक सेहतमंद इंसान के लिए आराम की स्थिति में हार्ट रेट (Resting Heart Rate) 60-100 बीट्स प्रति मिनट के बीच होनी चाहिए। बच्चों में यह रेंज 70-120 बीट्स प्रति मिनट तक हो सकती है। वहीं, एथलीट्स का Heart Rate 40-60 बीट्स प्रति मिनट तक हो सकता है, क्योंकि उनकी दिल की सेहत अधिक मजबूत होती है।
डेंजर हार्ट रेट: कब दिल की सेहत खतरे में होती है?
Heart Rate का असमान्य होना डेंजर हार्ट रेट कहलाता है। अगर दिल रुक-रुक कर धड़कता है या सीने में दर्द और ऐंठन जैसी समस्याएं होती हैं, तो यह दिल की बीमारियों का संकेत हो सकता है। आराम के दौरान अगर हार्ट रेट 60 बीट्स प्रति मिनट से कम हो या 100 बीट्स प्रति मिनट से ज्यादा हो, तो इसे डेंजर हार्ट रेट माना जाता है, और इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक है।
Heart Rate पर असर डालने वाले कारक:
Heart Rate को कई कारण प्रभावित कर सकते हैं जैसे बढ़ती उम्र, स्वास्थ्य समस्याएं, एक्सरसाइज, दवाएं और मानसिक तनाव। यही कारण है कि अपनी दिल की सेहत पर ध्यान देना और समय-समय पर कार्डियोलॉजिस्ट से चेकअप करवाना जरूरी है।
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Heart Rate को नियमित रूप से चेक करें:
दिल की सेहत को बनाए रखने के लिए नॉर्मल हार्ट रेट का होना बेहद जरूरी है। अगर Heart Rate असमान्य हो, तो यह दिल के गंभीर रोगों जैसे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ा सकता है। इसलिए, यदि आपको कोई भी असामान्यता महसूस हो, तो डॉक्टर से सलाह लें।