Dehradun

आसन बैराज के पुलों पर सुरक्षा मुद्दे पर हाईकोर्ट का आदेश, मुख्य सचिव और PWD सचिव को पेश होने के दिए निर्देश…..

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देहरादून : उत्तराखंड हाईकोर्ट में देहरादून के आसन बैराज से निकलने वाली नहरों के ऊपर बने कई पुलों पर भारी वाहनों की आवाजाही के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस मामले की सुनवाई के बाद, मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने मामले को अति संवेदनशील पाते हुए मुख्य सचिव और सचिव लोक निर्माण विभाग को आदेश दिया कि वे कल 8 जनवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश हों। मामले की सुनवाई कल भी जारी रहेगी।

राज्य सरकार का पक्ष
आज, मंगलवार, 7 जनवरी को हुई सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से यह कहा गया कि इन पुलों पर भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगी हुई है। राज्य सरकार ने यह भी कहा कि भारी वाहन स्वामियों को नुकसान हो रहा है, क्योंकि उनके पास कोई वैकल्पिक मार्ग नहीं है, और उन्होंने इस रोक को हटाने की मांग की।

याचिकाकर्ता का बयान
याचिकाकर्ता रघुनाथ सिंह नेगी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि राज्य सरकार के पास एक वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध है, जो 15-16 किलोमीटर दूर है, लेकिन भारी वाहन मालिक फ्यूल बचाने के लिए इस मार्ग का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार इन पुलों की मरम्मत नहीं कर रही है और न ही नए पुलों का निर्माण कर रही है। उनका यह भी कहना था कि इन पुलों की औसत आयु समाप्त हो चुकी है, और ऐसे में इन पर भारी वाहन चलाने से कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

कोर्ट का निर्देश
कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए चीफ सेकेट्री और सेकेट्री लोक निर्माण विभाग को आदेश दिए कि वे स्थिति को 8 जनवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत के समक्ष रखें। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि पुलों की मरम्मत या नए पुलों के निर्माण को लेकर सरकार को जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी।

पुलों की सुरक्षा पर चिंता
यह मामला तब उठा जब देहरादून के सामाजिक कार्यकर्ता रघुनाथ सिंह नेगी ने जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा कि देहरादून के आसन बैराज से निकलने वाली नहरों पर 1965 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कई पुलों का निर्माण किया गया था, जिनकी भार क्षमता सीमित थी। बाद में राज्य सरकार द्वारा खनन की अनुमति देने के बाद इन पुलों पर भारी वाहन चलने लगे, जिसके कारण पुलों की संरचना पर खतरा बढ़ गया है।

 

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