माणा /चमोली – देश के पहले ऋतु प्रवासी पर्यटन ग्राम माणा मणि भद्रपुर में हाल ही में मां सरस्वती के मंदिर के भव्य निर्माण के साथ-साथ पांच भाई पांडवों की मूर्तियों की स्थापना ने क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। यह मूर्तियां माणा भीम पुल के पास स्थापित की गई हैं और पौराणिक स्वर्गारोहिणी मार्ग पर श्रद्धालुओं के आकर्षण का मुख्य केंद्र बन गई हैं।
इन मूर्तियों में पांच पांडवों के साथ द्रोपदी और एक श्वान की कुल सात मूर्तियां शामिल हैं। ये मूर्तियां विशेष रूप से उन तीर्थ यात्रियों के लिए आध्यात्मिक शांति की अनुभूति प्रदान कर रही हैं, जो बद्रीनाथ धाम के दर्शनों के बाद माणा भीम पुल, व्यास गुफा, और सत्य पथ सतोपंथ वसु धारा की यात्रा कर रहे हैं। इनकी एक झलक देखने से श्रद्धालुओं के मन में द्वापर युग की यादें ताजा हो जाती हैं, जब पांडव महाभारत के युद्ध के बाद इसी मार्ग से स्वर्गारोहिणी यात्रा करने निकले थे।
ऐतिहासिक महत्व
स्वर्गारोहिणी मार्ग पर पांडवों की मूर्तियों की स्थापना के पीछे डॉ. विश्वनाथ कराड़, एमआईटी पुणे के संस्थापक, का योगदान है। उनकी मेहनत से तैयार की गई ये मूर्तियां मिश्र धातु से बनी हैं, जो बर्फ में भी सुरक्षित रहेंगी। मूर्तियों का वजन 4 से 13 कुंतल के बीच है और ये स्वर्गारोहिणी मार्ग पर धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने का काम करेंगी।
पर्यटन की नई संभावनाएं
पांडवों की इन आकर्षक मूर्तियों के स्थापित होने से माणा क्षेत्र में तीर्थ यात्रियों की संख्या में वृद्धि होने की संभावना है। श्रद्धालु इन मूर्तियों के साथ यादगार तस्वीरें लेते हुए नजर आ रहे हैं। यह न केवल आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि श्रद्धालुओं में स्वर्गारोहिणी सतोपंथ सत्य पथ की यात्रा के प्रति जिज्ञासा भी पैदा करेगा।
इस पहल से न केवल माणा मणि भद्रपुर का धार्मिक महत्व बढ़ेगा, बल्कि यह क्षेत्र एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में उभरेगा। पांडवों की मूर्तियों की स्थापना ने इस पवित्र मार्ग को एक नई पहचान दी है, जो भविष्य में हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करने में सफल होगी।