रुड़की: भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान में एक महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किया है और भविष्य में और भी बड़ी योजनाओं को अंजाम देने की दिशा में कदम बढ़ाया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव डा. वी नारायणन ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की में 6वें भारतीय ग्रह विज्ञान सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि भारत 2035 तक अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन बनाएगा और 2040 तक किसी भारतीय को चांद पर उतारने की योजना पर काम कर रहा है।
इस सम्मेलन का उद्घाटन इसरो के अध्यक्ष डा. वी नारायणन ने किया। उन्होंने कहा कि इसरो चंद्रयान-4 मिशन पर काम कर रहा है और साथ ही शुक्र ग्रह पर अध्ययन करने की भी योजना है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत अत्याधुनिक तकनीकों को विकसित करने में सबसे आगे है, जो ग्रह मिशनों और गहरे अंतरिक्ष अन्वेषणों में योगदान देंगे।
इस अवसर पर डा. नारायणन ने कहा कि भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में अब विश्व के पांच प्रमुख देशों में शामिल हो गया है और हम न सिर्फ अपने देश के लिए, बल्कि अन्य देशों के लिए भी सेटेलाइट तैयार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसरो अगले तीन वर्षों में 27 नए सेटेलाइट लॉन्च करने की योजना बना रहा है, और भारत स्पेस साइंस में अपनी तकनीक 34 देशों को दे रहा है।
इस दौरान उन्होंने अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत-कोरिया सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला। भारत-कोरिया साझेदारी वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है, इस पर चर्चा करते हुए भारत कोरिया अनुसंधान एवं नवाचार केंद्र (आइकेसीआरआइ) के निदेशक डा. यंग हो किम ने अपने विचार साझा किए।
आइआइटी रुड़की के उप निदेशक प्रोफेसर यूपी सिंह और आइएन-स्पेस के निदेशक डा. विनोद कुमार ने भी शिक्षा-उद्योग सहयोग की भूमिका पर जोर दिया और इस क्षेत्र में किए जा रहे नवाचारों के महत्व को बताया।