Dehradun

उत्तराखंड में स्वरोजगार का बड़ा जरिया बन रहा है दुग्ध उत्पादन, 10 साल में 30% बढ़ा दूध उपार्जन….

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देहरादून: उत्तराखंड में दुग्ध उत्पादन अब स्वरोजगार का एक प्रमुख जरिया बनता जा रहा है। पिछले 10 वर्षों में राज्य में दुग्ध उपार्जन में लगभग 30% की वृद्धि हुई है, जो इस क्षेत्र के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। राज्य सरकार ने आगामी समय में 3 लाख लीटर प्रतिदिन दूध उपार्जन का लक्ष्य निर्धारित किया है, ताकि प्रदेश के दुग्ध उत्पादकों को और अधिक अवसर मिल सके।

दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी

उत्तराखंड में पिछले दशक में दुग्ध उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। अब राज्य में अधिक किसान इस क्षेत्र से जुड़कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। राज्य में 2650 सहकारी समितियों के माध्यम से करीब 53,000 किसान दुग्ध उत्पादन से जुड़ चुके हैं और वे प्रतिदिन दूध आपूर्ति कर रहे हैं। यह संख्या राज्य में दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव की ओर इशारा करती है।

स्वरोजगार का अवसर

सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं और योजनाओं से किसान दुग्ध उत्पादन को एक स्थिर और लाभकारी व्यवसाय के रूप में देख रहे हैं। साथ ही, सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को बाजार से जुड़ने और अपनी उत्पादों को उचित मूल्य पर बेचने का अवसर मिल रहा है। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि हो रही है, बल्कि राज्य की आर्थिक स्थिति भी सशक्त हो रही है।

राज्य सरकार का लक्ष्य

उत्तराखंड सरकार ने इस क्षेत्र को और भी विकसित करने के लिए 3 लाख लीटर प्रतिदिन दूध उपार्जन का लक्ष्य रखा है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, उचित सुविधाएं और तकनीकी सहायता प्रदान करने की योजना बनाई है।

दुग्ध उत्पादन में हो रही प्रगति

दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ, राज्य में नई तकनीकों का भी उपयोग किया जा रहा है, जिससे उत्पादन में और सुधार हो सके। इसके साथ ही, किसानों को आर्थिक मदद और उचित नीति का लाभ मिल रहा है, जिससे राज्य में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा मिल रहा है।

 

 

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