नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज कुवैत की दो दिवसीय (21-22 दिसंबर) यात्रा के लिए रवाना हो गए हैं। यह यात्रा 43 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की कुवैत यात्रा का पहला अवसर है। इससे पहले, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1981 में कुवैत का दौरा किया था। प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को ऐतिहासिक और अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भारत और कुवैत के बीच घनिष्ठ संबंध
विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से पहले कहा, “भारत और कुवैत के बीच पारंपरिक रूप से घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं, जिनकी जड़ें इतिहास में हैं और जो लोगों के बीच मजबूत संबंधों पर आधारित हैं।” मंत्रालय ने यह भी बताया कि भारत कुवैत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक है, और भारतीय समुदाय कुवैत में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है।
इस यात्रा के दौरान भारत और कुवैत के बीच बहुआयामी संबंधों को और मजबूत करने का अवसर मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी को कुवैत के बायन पैलेस में औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा, जिसके बाद वे कुवैत के अमीर और क्राउन प्रिंस के साथ अलग-अलग बैठकें करेंगे। इसके बाद, कुवैत के प्रधानमंत्री के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता होगी, जिसमें दोनों पक्ष द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करेंगे।
व्यापारिक संबंध और ऊर्जा सहयोग
कुवैत, भारत का छठा सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता है, जो भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को तीन प्रतिशत तक पूरा करता है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार वित्तीय वर्ष 2023-24 में 10.47 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। इस यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी कुवैत के अमीर के विशेष अतिथि के रूप में 26वें अरेबियन गल्फ कप के उद्घाटन समारोह में भी शामिल होंगे।
भारतीय प्रवासियों के साथ संवाद और श्रमिक शिविर का दौरा
यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी एक सामुदायिक कार्यक्रम में भारतीय प्रवासियों के साथ संवाद करेंगे और एक श्रमिक शिविर का दौरा भी करेंगे। इस यात्रा से भारत और कुवैत के बीच संबंधों को और अधिक मजबूती मिलने की उम्मीद है, साथ ही खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के साथ भारत के संबंधों को भी बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि भारत GCC के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है।