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हरियाणा में लोकसभा चुनाव से पहले सियासी भूचाल, भाजपा-जजपा गठबंधन टूट फिर भी संकट इ नही है भाजपा…जाने गणित। 

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चंडीगढ़ – हरियाणा में लोकसभा चुनाव से पहले सियासी भूचाल आ गया है। मंगलवार (12 मार्च) को पांच साल पुराना भाजपा-जजपा गठबंधन टूट गया है। दोपहर एक बजे नई सरकार का शपथग्रहण होगा। नई सरकार में कुछ नए नाम शामिल होने की चर्चाएं हैं। जजपा से गठजोड़ टूटने के बाद भी भाजपा पर कोई संकट नहीं है।

भाजपा के पास 41 सीटें, कैसे हासिल होगा बहुमत
हरियाणा विधानसभा में 90 सीटें हैं। भाजपा के पास 41 विधायक हैं। जजपा के पास 10 विधायक हैं। वहीं छह निर्दलीय भी भाजपा के साथ हैं। ऐसे में सरकार पर कोई संकट नहीं है। कांग्रेस के 30 और इनेलो और हरियाणा लोकहित पार्टी के एक-एक विधायक के अलावा सात निर्दलीय विधायक हैं। बहुमत का आंकड़ा 46 है। जजपा से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा के पास अपने 41, सात निर्दलीयों और एक हलोपा विधायक का समर्थन है। वहीं सूत्रों के अनुसार, जजपा के कुछ विधायक भी भाजपा के साथ आ सकते हैं।

सीट बंटवारा बना गठबंधन टूटने का कारण
गठबंधन टूटने का बड़ा कारण लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारा बना। जजपा ने हरियाणा की 10 सीटों में से 2 की मांग की थी लेकिन भाजपा को ये मंजूर नहीं था। सूत्रों के अनुसार, भाजपा हरियाणा की सभी दसों सीट पर संभावित उम्मीदवारों का पैनल तैयार कर चुकी है। इसमें हर सीट से तीन से चार उम्मीदवारों के नाम शामिल किए गए हैं। पीएम मोदी को टिकटों पर अंतिम मुहर लगानी है।

तीन से चार चेहरे बदल सकते हैं
सूत्रों ने दावा किया है कि पार्टी तीन से चार सीटों पर उम्मीदवारों के चेहरे बदल सकती है। पार्टी ने यह भी तय किया है कि वह हरियाणा से कम से कम दो महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगी। अब यह उम्मीदवार कौन होंगी, इस पर भी फैसला अगले तीन दिन में हो जाएगा। बताया जा रहा है कि उम्मीदवार का चयन भाजपा के आंतरिक सर्वे, नमो एप के सर्वे और प्रभारियों के फीड बैक के आधार पर किया जाएगा। जिस तरह से पहली सूची में कुछ उम्मीदवारों पर सवाल खड़े हुए थे, उसके बाद पार्टी साफ छवि के उम्मीदवारों को लेकर कोई समझौता नहीं करने वाली।

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