अल्मोड़ा – बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं ने एक और प्रसूता की जान ले ली और नवजात से मां का आंचल छीन लिया। महिला के पति का कहना है कि सिस्टम को दोष न दें तो किसे दें कि करोड़ों की लागत से बने मेडिकल कॉलेज में ब्लडबैंक नहीं है। अगर समय पर ब्लड मिल जाता तो महिला की जान नहीं जाती।
बागेश्वर जिले के कपकोट निवासी भुवन सिंह अपनी पत्नी सीता देवी (35) को प्रसव के लिए मेडिकल कॉलेज लाए थे। यहां 20 अक्तूबर को ऑपरेशन हुआ जिसमें उसने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। इसी बीच अधिक रक्तस्राव होने से डॉक्टरों ने भुवन से ब्लड (खून) की व्यवस्था करने के लिए कहा लेकिन मेडिकल कॉलेज में ब्लड बैंक न होने से पति खून के लिए भटकता रहा। जिला अस्पताल से किसी तरह खून की व्यवस्था हुई।
दूसरे ही दिन सीता का दूसरा ऑपरेशन करना पड़ा जिसके लिए फिर से खून की जरूरत हुई और पति को सात किमी दूर जिला अस्पताल की दौड़ लगानी पड़ी। सीता ने 28 अक्तूबर की रात दम तोड़ दिया। परिजनों का कहना है कि यदि समय पर खून की व्यवस्था हो जाती तो शायद जान बच सकती थी।
प्रसूता का दो बार ऑपरेशन करना पड़ा। ब्लड बैंक संचालित न होने से जिला अस्पताल से खून की व्यवस्था की गई। उसे बचाने के पूरे प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिली।