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माचिस की तीलियों से उत्तराखंड के लाल ने गढ़ा श्री राम मंदिर, जानिए उनकी कहानी

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पौड़ी (उत्तराखंड): (Shri Ram Mandir Made of Matchsticks)उत्तराखंड की शांत आध्यात्मिक और सांस्कृतिक भूमि ने एक बार फिर सिद्ध किया है कि यहां केवल प्रकृति ही नहीं बल्कि प्रतिभा भी अपने चरम पर है। पौड़ी गढ़वाल के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक पंकज सुन्दरियाल ने अपनी अनूठी कला से ऐसा चमत्कार कर दिखाया है…जिसने सभी को हैरान कर दिया है।

(Shri Ram Mandir Made of Matchsticks) पंकज ने माचिस की साधारण तीलियों से श्री राम मंदिर अयोध्या की एक अद्भुत और बेहद सुंदर प्रतिकृति (Model) तैयार की है, जिसे बनाने में उन्हें तीन साल का समय लगा। उनकी यह कलाकृति न सिर्फ श्रद्धा का प्रतीक है…बल्कि धैर्य, लगन और रचनात्मकता का अनमोल उदाहरण भी है।

06 जुलाई 1981 को पौड़ी गढ़वाल के ग्राम मजगाँव (चौन्दकोट पट्टी) में जन्मे पंकज सुन्दरियाल के पिता स्व. पुरुषोत्तम सुन्दरियाल भी शिक्षक थे। पंकज ने प्रारंभिक शिक्षा चौबट्टाखाल में प्राप्त की और एम.एससी., बी.एड., बीटीएस जैसे उच्च शिक्षण कोर्स पूरे करने के बाद वर्ष 2009 में शिक्षा क्षेत्र से जुड़ गए।

ड्यूटी के साथ-साथ उनके भीतर की क्रिएटिविटी कभी शांत नहीं रही। दुकानदारी के दिनों में उन्होंने पहली बार माचिस की तीलियों से मंदिर बनाने का विचार किया। सबसे पहले उन्होंने श्री केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनाई, और यहीं से उनके सफर की शुरुआत हुई।

पंकज अब तक कई अंतरराष्ट्रीय और ऐतिहासिक इमारतों की प्रतिकृतियाँ बना चुके हैं, जिनमें शामिल हैं…….

ताजमहल (भारत)

बोर्गंड चर्च (नॉर्वे)

कार्नर टावर (चीन)

श्री केदारनाथ मंदिर (उत्तराखंड)

और अब श्री राम मंदिर (अयोध्या)……जिसे वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट करना चाहते हैं, ताकि यह अयोध्या के राम मंदिर संग्रहालय में सुरक्षित रखा जा सके।

पंकज सुन्दरियाल का नाम साल 2021 और 2022 में लगातार दो बार India Book of Records में दर्ज किया जा चुका है। वे उत्तराखंड से इस क्षेत्र में यह उपलब्धि हासिल करने वाले पहले व्यक्ति हैं।

पंकज न सिर्फ खुद यह कला साध रहे हैं…बल्कि वे अपने छात्रों को भी हस्तशिल्प और प्रतिकृति निर्माण सिखा रहे हैं। वे भविष्य में एक स्थायी हस्तशिल्प प्रशिक्षण केंद्र और माचिस कलाकृति संग्रहालय स्थापित करने की योजना बना रहे हैं।

पंकज का मानना है कि उनकी कला केवल मंदिरों या धार्मिक इमारतों तक सीमित नहीं है। वे सभी धर्मों की संरचनाओं पर काम कर चुके हैं और आगे गुरुद्वारा भी बनाना चाहते हैं। वे कला के माध्यम से विश्व को “सर्वधर्म समभाव” का संदेश देना चाहते हैं।

पंकज सुन्दरियाल की यह कहानी न केवल प्रेरणा देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि साधारण चीजों से भी असाधारण रचनाएं गढ़ी जा सकती हैं…बस ज़रूरत होती है जुनून, समर्पण और धैर्य की। उत्तराखंड की इस प्रतिभा को नमन…जो अपनी रचनात्मकता से पूरे देश का सिर गर्व से ऊंचा कर रहे हैं।

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