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उत्तराखंड में शुरू होगी स्नो लेपर्ड साइटिंग, लद्दाख मॉडल पर किया जाएगा इसे शुरू, जानें क्यों है खास
Snow leopard sighting : उत्तराखंड में भी अब स्नो लेपर्ड साइटिंग शुरू होने जा रही है। लद्दाख मॉडल पर उत्तराखंड में इसे शुरू करने की तैयारी है। इससे लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश में विंटर टूरिज्म बढ़ाने के निर्देश भी दिए हैं।
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उत्तराखंड में शुरू होगी Snow leopard sighting
प्रदेश में शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार कोशिश में लगी हुई है। इसी क्रम में अब प्रदेश में स्नो लेपर्ड साइटिंग, हेली-स्कीइंग और हिमालयन कार रैली को जल्द से जल्द शुरू करने की तैयारी है। इसीलिए अब प्रदेश में लद्दाख के मॉडल पर ही स्नो लेपर्ड साइटिंग शुरू होने जा रही है।
क्या होती है Snow leopard sighting ?
जब किसी क्षेत्र में हिम तेंदुआ (Snow Leopard) को देखा जाता है या फिर उसकी तस्वीरों को कैमरे में कैद किया जाता है तो उसे Snow Leopard Sighting कहा जाता है। आपको बता दें कि स्नो लेपर्ड यानी कि हिम तेंदुआ बेहद ही दुर्लभ जानवर है। जिसे बहुत ही कम देखा जाता है। इसलिए प्रकृति प्रेमी जो इसे देखने के इच्छुक होते हैं उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्नो लेपर्ड साइटिंग पर जाते हैं।

देश के कुछ पहाड़ी राज्यों में Snow leopard sighting होती है। जिसमें लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं। उत्तराखंड में भी जल्द ही ये शुरू होने जा रहा है। जिस से यहां के विंटर टूरिज्म को पंख लगने की उम्मीद है।
बेहद ही कम दिखाई देता है हिम तेंदुआ
आपको बता दें कि हिम तेंदुआ यानी कि स्नो लेपर्ड एक दुर्लभ और संरक्षित वन्यजीव है, जो अत्यधिक ठंडे और दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में रहता है। इसकी मोटी धूसर-सफेद खाल पर काले धब्बे होते हैं, जो बर्फीले इलाकों में इसे छिपने में मदद करते हैं। इसकी लंबी और झबरीली पूंछ संतुलन बनाए रखने और ठंड से शरीर को ढकने में सहायक होती है। खास बात ये है कि स्नो लेपर्ड ऊंची छलांग लगाने में सक्षम होता है और इसी कारण ये चट्टानी ढलानों पर आसानी से शिकार कर लेता है।
हिम तेंदुए सामान्यतः अकेले रहना पसंद करते हैं और यही कारण है कि ये बहुत कम दिखाई देते हैं। स्नो लेपर्ड मुख्य रूप से मध्य एशिया और हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाते हैं। भारत में लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के ऊंचे हिमालयी इलाकों में ये पाए जाते हैं। आमतौर पर हिम तेंदुआ 3,000 से 5,500 मीटर की ऊंचाई पर, बर्फीले और पथरीले पहाड़ों में निवास करता है।
FAQs: Snow Leopard Sighting
Q1. Snow Leopard Sighting क्या होती है?
जब किसी क्षेत्र में हिम तेंदुआ प्रत्यक्ष रूप से देखा जाए या उसकी तस्वीर/वीडियो कैमरे में कैद हो, तो उसे Snow Leopard Sighting कहा जाता है।
Q2. सरकार Snow Leopard Sighting क्यों शुरू कर रही है?
प्रदेश में शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने, पर्यटकों को आकर्षित करने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार यह पहल कर रही है।
Q3. उत्तराखंड में Snow Leopard Sighting कहां शुरू हो सकती है?
उत्तराखंड के उच्च हिमालयी और बर्फीले क्षेत्रों में, जहां हिम तेंदुए की मौजूदगी दर्ज की गई है, वहां इसे लद्दाख मॉडल पर शुरू किया जा सकता है।
Q4. हिम तेंदुआ इतना दुर्लभ क्यों माना जाता है?
हिम तेंदुआ अकेले रहना पसंद करता है, दुर्गम इलाकों में रहता है और इसका प्राकृतिक रंग बर्फ में घुल-मिल जाता है, इसलिए यह बहुत कम दिखाई देता है।
Q5. हिम तेंदुआ किन ऊंचाइयों पर पाया जाता है?
हिम तेंदुआ आमतौर पर 3,000 से 5,500 मीटर की ऊंचाई पर बर्फीले और पथरीले पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है।
Q6. भारत में Snow Leopard Sighting किन राज्यों में होती है?
भारत में लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और अब जल्द उत्तराखंड में भी Snow Leopard Sighting की जा सकती है।
Q7. हिम तेंदुए की प्रमुख खासियतें क्या हैं?
इसकी मोटी धूसर-सफेद खाल, लंबी झबरीली पूंछ, ऊंची छलांग लगाने की क्षमता और ठंडे मौसम में जीवित रहने की अनुकूलता इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं।